मानस - दर्पण | Manas - Drpan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.1 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चन्द्रमौलि सुकुल - Chandramauli Sukul
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपादघात | थ्ः इसी प्रकार आाठवाँ लव-कुद्द कांड भी तुल्सीकत नहीं है । इन सब श्रन्थां में से रामचरितमानस का बड़ा प्रचार है जिसके कुछ कारण आगे का वर्णन पढ़ने से समक में आ जायेंगे । रामचरितमानस का समय | इस का आरंभ संवत् १६३१ अथोत्ू सन् १५७७४ इंसवी में इआ जब दिल्ली में अकबर बादशाह का राज्य था । देशा से तोन सा वष से ऊपर मुसलमानों राज्य रह चुकने के कारण हिंदूधम की पताका नोची है। गई थी । बाददाहों का यही यल्न हाता था कि किसी प्रकार सुसख्मानां की संख्या बढ़ाई जावे जिस से राज्यस्थिति पक्षी हैं जावे हिंदुओं से जजिया नामक कर लिये जाते थे सुसलमान है। जाने पर अनेक प्रकार का सहारा मिलता था किसी हिंदू दासक का डर नहीं था। परतु अकबर के राज्य में यह सब बाते कम है? गई ।. फिर क्या था सुखता डुआ पाधा नया देने छगा श्रार अट्प काल दही में इतनी दाखाये निकली कि जिन का गिनना दुश्तर है । एक पक देवता के पूजनेवालेां के अनेक अनेक संप्रदाय हो गये काई एक अझ्रार खींचने छगा काई दूसरी ओर । फल यह डुआ कि एक दूखरे में वैरमाव बढ़ा यहाँ तक कि वैष्णव के लिए दिव का नाम लेना पाप समका ज़ाने छंगा । एक मत की पुश्तक का दूखरे मत वाले अनादर करने ठगे ग्रौर जब काई कवि नई पुस्तक लिखता था ता अपने साथियेां को बटार कर उनसे सद्दायता लेता था कि अन्य लाग बाघा न डाले । इसी लिए गासाई जी ने रामचरितमानस
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