लालारुख़ | Lalarukh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
121
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काला सर इजादी हम जो कुछ कर रहे हैं उसका अंजाम क्या होग्स शाइजादा जब यह जेद जान लेंगे दो इसारी जान की श्देर नहीं । मुके अपनी जरा परवा नहीं पर अपकों उस प्रलेय सें में न देख रकंगा। ोह इल हीम शाहुजादे बहुत चदार हैं बह समझते होगे सुदुच्यत में किसी का जोर जुल्म नहीं चहता। बह हमें साफ़ कर देंगे | ? नहीं शाहजू दी वह तुस्हें झापती जान से ज्यादा चाहते हैं साफ़ न करेंगी ।?? तो इन्नाहीम मैं खुर्श से तुम्हारे साथ मरूँगी। क्या तुम मौत से डरते हो 1? नहीं दिलरुबा छोर खासकर इस प्यारी मौत से ता फिर यदद राज क्यों पोशीदा रक््खा जाय शाहजारे को लिख दिया जाय 17? ये तमाम ठाट बाद हवा हो जायेंगे | ? उसकी परवाह नहीं तुम भेरे सामने बैठकर इसी तरह शाया करना मैं तुन्दारे लिए रोटियाँ पकाया करूंगी 1 ? प्यारी शाइज़ादी । बेहतर हो इस शुलाभ को भूख जाय |? सिरसा न कही यद कलमा सुनने से दिल घड़क शठता है | तो फिर तुम्हारा क्या हुक्म हे । शादजारे को मैं सब इफीकत लिख भेजूँगी । लुम क्यों यह काम में करूंगा फिर नतीजा चाहे भी ज्ञो द्दो रः थ
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