बचपन के पहले पांच साल | Bachpan Ke Pehle Paanch Saal
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.55 MB
कुल पष्ठ :
79
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पं. अमरनाथ विद्यालंकार - Pt. Amarnath Vidhyalankar
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्प बचपन के पहले पांच साल उसकी बेचैनी दूर हो जायगी । शिशु की बाकायदा आदतें बन जाय॑ इस बात का महत्व तो स्पष्ट ही है। परन्तु यह भी न भूलना चाहिए कि तबियत और रुचि में कुछ स्वाभाविक फके भी होता है। इसलिए जव तक आपको बिलकुल यकीन न हो जाय कि अमुक बात बच्चे के बिलकुल ही अनुकूल बैठी है तब तक उस पर बच्चे को नियमित रूप से चलाने के लिए आपका आग्रह करना उचित नहीं है । माँ का दूध देना जहाँ तक बन पड़े शिशु के शारीरिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक उन्नति दोनों की दृष्टि से यह जरूरी है। शिशु के लिए मां के दूध से अच्छी दुनिया में कोई भी खुराक नहीं । दूध पीते समय मां के शरीर के साथ जिस कोमल और स्नेहमय सम्पकं का आनन्द शिशु को मिलता है वह उसकी प्रकृति की स्रदुलतां की माँग को पूरा करता है। शैशव-काल्त में यदि बच्चे को यह स्रदुल सम्पक॑ न मिले तो बड़ी आयु में उसे कई प्रकार के सानसिंक रोग हो जाते हैं। मांके स्तनों से दूध खींचने के लिए बच्चे को मुँह से ज्यादा जोर लगाना पढ़ता है। बोतल से दूध पीते वक्त उतना जोर नहीं लगाना पढ़ता । बच्चे की उन्नति प्रत्येक काये में व्यायाम और उसके अयास पर निर्भर है। दूध पीते समय मुह के आस-पास की पेशियों को बार-बार हरकत मिलती है उप्र -डस्डुचय पथ जद 2 डाटा डर पाए कप स्किल यार इन लि ३ न हु गया सं
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