श्री सत्यार्थ विवेक खंड - १ | Sri Satyartha Viveka Khand - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
74.93 MB
कुल पष्ठ :
778
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषयसूची | प्र विपय प््छु कर 5. उपबेद .... ... .. छ2४-४४८ आयुर्वेद ह० ००४ उदाफछ चि ०4% ह22च१ कक 2 धनुषंद ७७०4 न्कक७ ब ०04 ब०#ढ ब+ ० # 9 22% 02 गान्पव्वेबेद कद गधा ग्क्क्के भय बसा कक्कक ५299 स्थापत्यवद इकक5 स्ककक कक ्स्कर नम्क्अ 2 जि कि द् कद थी फ् थे के केक - चषि आर पुस्तक 3५.०-४३६ ऋषियों के श्रेणिभेद व मखन्तराबुसार संख्यानिशेंत ४४० ऋषि का लश्नणा व अध्यात्मराश्य के उपर अधिए्ातत्वझकथन . 9४६ ज्ञानमाहिमा वे ज्ञानाधार पस्तकां का पश्च मेदेनिशेय .. ६० लूतावयससुश्ञास हो... कट. कु. हु वि थ साधारशाघस्स अर शव धरम छ५१५- सेट० साधारणधस्मे से क्रमोन्नतिवणेन । ००० न .. १६७ विशेषधश्प का स्वरूपकथन नर म्कक स्व सर्द साघारणपघम्पे विशेषधम्म व असाधारणघम्प के प्रभद व रहस्य वणन क#ढ64 ०७० ही 2१92 वशघस्स छ८र-१४८ वणधस्मे के साथ त्रिगणमयी प्रकृति का मालिक सम्वन्घनिशंय . ४८१ उद्धिज्ज स्वेदज अण्डज व जरायुज सवंत्रही प्राकृतिक चार वण की व्यवस्थानिशंय घट४ प्रसज्ञोपात्त शकुनशाख का विज्ञान व रृहरपवर्शन छेद. समष्टि सृष्टि में यगानसार वणेघम्पेपिपयेय का रहस्यवणन ४8६ जाति जन्म से है या कम्पे से इसपर विस्तृत विचार ०१ वणव्यवस्था के न रहने से क्या हानि या लाभ है केवल कम्मो- नसार वणेव्यवस्था होनेसे क्या हानि या लाभ दें ओर जन्म व कसम दोनों के अनुसार ही बणेव्यवस्था होने से क्या हानि या लाभ हे इन विषयों पर वेदादिप्रमाशा के साथ विस्तृत व झ- पूवे विचार तथा आधुनिकसतसभपाक्षा लो ५१४ घणधघम्मे का आदेश रखकर देशकालाचुसार सामज्स्यविधान ५४१
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