श्री रामकृष्ण चरित | Shri Ramkrishna Charitra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रू) कृष्ण पागल हो गया है यह बात गलत है । उसकी तो यदद मावावस्था है 1 फिर उसने रामक़प्णु से करा बेटा यांदि तुम .जसे पौगल इस दतियाँ में और भी डोत तो दनियाँ का परालापन अधश्य दी दर हो जाता । उस चविदषी ने राम कृष्ण कायागाभ्यास सिखाया । तब से रामऊष्ण भी अपग योग साधन करन लग | थोड़े दिनों के अझनंतर तोतापुरी नामक सिद्ध दाच्तिशुश्वर का उद्ध#ने रामऊप्णा को निर्चिकल्प समाधि योग सिख लाया । श्रीरामऊष्ण जैसे चातरागी मददात्मा को संगति में रहने से ताक्तपुरी को भी बचुत कुछ लाभ इुग्ना । तोता जुरी ने दो रामः प्ण को संन्यम्साशधम लेने का अनुरोध किया और ये स्वयं दी उन्हें परमदंस के नाम से पुकारने लगे तोतापुरी के चले जानेपर रामकष्ण॒ निर्विकरप समाधि का बभ्यास करन लगे | मर्दीनों तक के समाधि चढ़ाएं छुए ही रत थे । तदनंतर उन्होंन बणववभाकि का स्वीकार किया श्र स्पा का धश घारण कर श्राकृष्ण के दशेन करन के उद्याग उन्दोंन सिक्ख मुसलमान उत्यादिक श्नेक घर्मग्रेयों का भी अध्ययन किया था । प्रसिद्ध दानशूर शम्भुचरण मलिक के पास उन्होंन बाइवल को भी सना था । इस प्रकार सारे मतों का श्रज्लुभव प्राप्त कर उन्दोंने यद ठच्राया कि सारे मत सच्चे घर्मसंप्रदाय कुचल प्रम को श्रोर पदुचानियास मिस भिन्न मारो ह। वे अपनी पत्नी को विलकूल ही भूल गर थे । पर जब श्रीशारदा दवीजी बचुत से लोगों के द्वारा सुना पके रामरूष्ण इश्चरमभक्ति से पागल छो गए हूं तब उन्हें अपने पति के दर्शन करने की इच्छा हुई । श्रीरामरुप्ण ने उनका दक्षिखुश्वर में भू ् हर




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