आचार्य राजशेखर कृत काव्यमीमांसा का आलोचनात्मक अध्ययन | Aachrya Rajshekhar Krit Kavya Mimansa Ka Aalochanatmak Adhyayan

Aachrya Rajshekhar Krit Kavya Mimansa Ka Aalochanatmak Adhyayan by आचार्य राजशेखर - Acharya Rajasekhara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8] महेन्द्रपाल के समय के अभिलेखो की तिथियाँ उसके राज्याभिषेक के दूसरे वर्ष से उन्नीसवे वर्ष तक की है । महेन्द्रपाल का प्रशस्तिपरक सबसे पहला काठियावाड का ऊणा अभिलेख 574 वलभि स० + 893 ई० का है अत उसने 882 और 893 ई० के बीच कभी गद्दी धारण की होगी । परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर श्री महेन्द्रपालदेव के समय का ऊणा का द्वितीय अभिलेख 956 वि० स० - 899 ई० का है 2 महेन्द्रपाल की राजधानी कान्यकुब्ज नगरी थी । आचार्य राजशेखर ने बालभारत की रचना महोदय मे की थी । महोदय कान्यकुब्ज का ही दूसरा नाम था तथा महेन्द्रपाल तथा उसका पुत्र महीपाल सियादोनी शिलालेख मे कान्यकुब्ज से ही सम्बद्ध है । महेन्द्रपाल का प्रशस्तिपरक सिंयादोनी शिलालेख झाँसी जिले के सियादोनी ग्राम मे है जिस पर 903-907 ई० अकित है ।2 सियादोनी अभिलेख मे विभिन्‍न राजाओ की तिथियो का उल्लेख है। (1) भोज -- # 0 862 876 80 882 (2) महेन्द्रपाल -- 903-907 राजशेखर के शिष्य (3) उनके पुत्र क्षितिपाल अथवा महीपाल अथवा हेरम्बपाल / 0 917 1. एपिग्राफिका इण्डिका जिल्द 9 पृष्ठ-6 (पादटिप्पणी ) एपिग्राफिका इण्डिका जिल्द-9 पृष्ठ-4 (क) एपिग्राफिका इण्डिका जिल्द-1 806 - 173 (ख ) ८5 ०060 00 0४ रिड516। 800 निधि 16 8द00घाघ8 #85 6060 ॥1 फतदाा1008/8 आए 1/वा1008४8व 15 घा हा 1816 ए 0वा1एवाए10]8 (छि2 28४8) ( 87-89 न 9 306 6 15]) १) पट 0५ दा) हा10ा189] व घााएं हा वोघ ा& 000160160 | ह16 ऊा890०ा 50100 0 वदघाहापाघु 88 १४6 8५४७ 16 08065 903-4 10 907-8 निभुडी। 60815 (वा ए0ााघा]&1 में निघ|516101821 5 ९ 806 - 177 ( (0710४ तथा (७ नि ।छापााछा)




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