भारतीय इतिहास का उन्मीलन | Bharatiya Itihas Ka Unmilan

Book Image : भारतीय इतिहास का उन्मीलन  - Bharatiya Itihas Ka Unmilan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जयचन्द्र विद्यालंकार - Jaychandra Vidhyalnkar

Add Infomation AboutJaychandra Vidhyalnkar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ऐे राज की बुनियाईँ दहृटतर होतीं इसलिए उनका ऐसा प्रयत्न स्वाभाविक था ॥ स्वतन्त्र भारतीय ऐतिहासिक उनकी इन स्थापनाश्रों को जाँचते तो इनमें झ्नेक हेत्वाभास देखते जिनका प्रत्याख्यान करते हुए मनुष्प मात्र की समानता दिखाना उनका काथ होता । यों अंग्रेज लेखक भारतीय इतिहास के सत्यों को क्यों घुंध से ढकने का जतन करते रहे श्र भारतीय दृष्टि से इतिहास प्रस्तुत करने वाले क्यों शुद्ध सत्य को प्रकट करने में श्रपनी शक्ति लगाते रहे इसका स्पष्ट कारण था । इस ग्रन्थ के प्रकाशन से अध्यापक विनयकुमार सरकार की २६१६ की भविष्योक्ति पूरी तरह सत्य सिद्ध हुई । मेरी पेश की हुई कहानी अंग्रेजों द्वारा चलाई हुई कहानी से बिलकुल दूसरी है यह तो इसके प्रत्येक पन्‍ने से प्रकट होगा । किन्तु इसकी मुख्य विशेषताश्रों की शोर ध्यान दिलाने की आआव- श्यकता है जो कि यहाँ बहुत संक्षेप से किया जायगा | ३५ भारतीय इतिहास का युगविभाग--उंग्रेजों ने हमारे राजनीतिक श्रौर सांस्कृतिक इतिहास में काल का फिरकेवार बवैटवारा चलाया । उदाहरण के लिए कैम्ब्रिज शौटर हिस्टरी में वैदिक युग से विजयनगर के पतन तक हिन्दू काल की कहानी पहले दी गई है । फिर श्राठ शताब्दियाँ पीछे लौट कर भारत में इस्लाम के प्रवेश की बात से मुस्लिम काल की कहानी आरम्भ की गई है जो १८४५७ में बहादुरशाह दूसरे के पतन के साथ समासत होती है । फिर चार शताब्दी पीछे लौट कर पुतंगालियों के भारत आने के बत्तान्त से ब्रितानवी काल श्ारम्भ किया गया है । इस विभाजन की बेहूदगी मैंने सन्‌ १६३६ में श्रपने नागपुर झभिभाषण में दिखाई थी । सातवीं शताब्दी के मध्य से इस्लाम भारत की सीमाश्रों पर टकराने लगता श्र के शुरू में सिन्ध में स्थापित हो जाता है । इन घटनाश्रों की उपेक्षा करके क्‍या प्रतिहार श्रौर राष्ट्रकूट साम्राज्यों ओर उस युग के श्रन्य हिन्दू राज्यों का ठीक चित्र अंकित किया जा सकता या उनके प्रशासकों की मनःस्थिति की ठीक व्याख्या की जा सकती है ? राजेन्द्र चोठ श्रौर भोज की कहानी श्राप हिन्दू काल में कह चुकते हैं श्रोर महमूद गज़नवी की मुस्लिम




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now