आधुनिक चीनी कहानियाँ | Aadhunik Chini Kahaniyan
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22.42 MB
कुल पष्ठ :
382
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ प्राघुनिक चीनी कहानियाँ भी मेरी प्रोर उसी हष्टि से देखा था जिस दृष्टि से बाहुर की भीड़-भाड़ मुझे देखती है । इस बात का विचार करते ही चोटी से लेकर पाँव के तलवों तक मेरी कँंपकँपी छूट जाती है । जब वे उस गुण्डे का कलेजा निकाल कर हुडप गये तो मुझे क्यों नहीं हड़प लेंगे । सोचिये तो उस स्त्री ने क्या कहा था जी करता है तुझे खा जाऊँ । श्र फिर इस बात को फीके चेहरों वाली भीड़ के बत्तीसी खोल कर श्रह्हास करने के साथ श्रौर इन काइतकारों की कहानी के साथ मिलाकर देखिये निश्चय ही उनके दाब्दों में कोई गुप्त संकेत छिपा था । उनके दाब्दों में ज़हर भरा था भर उनके झट्टहास में छुरियाँ छिपी थीं । उनकी चमकती हुई इ्वेत दँतावली इस बात का सबूत थी कि वे ग्रादम ख़ोर दरिन्दे हैं । | अब जहाँ तक मेरा विचार है मैं वातिर गुण्डा नहीं हाँ लेकिन चूकि मेंने श्री कू-चिऊ के बह्दीखाते को पैरों तले रौंदा था इसलिए इस बात को जोर देकर कहना मेरे लिए कठिन है । ऐसा लगता है कि उनके कई विचारों का तो में बिल्कुल शभ्रनुसान नहीं लगा पाता । इसके अलावा वे साफ-साफ क्रद्ध होकर मेरे मुह पर मुझे मेड़िया कहते हैं। मुझे याद हैं जब मेरे बड़े भाई मुझे निवन्ध लिखना सिखाया करते थे । तब किसी भले व्यक्ति की भी झगर में नुक्ताचीनी करता तो वे मेरे निवन्ध के नीचे समर्थन की लकीर खींच देते श्रौर अगर मैं दुष्ट लोगों के प्रति सहक्यता दिखाता तो वे टिप्पणी करते तुम साधारण जनसमूह से भिन्न होने के कारण भ्राइचयंजनक हो । मैं उनके विचारों को किस प्रकार भाँप सकता हु विशेषकर जब वे किसी को हड़पने के लिये तरह-तरह के मुह बना रहे हों । प्रब हरेक चीज़ को समभने से पहले उसकी परीक्षा करना झ्रावश्यक है। श्रादि काल से लेकर अब तक इन्सान अक्सर हड़पे जाते रहे हैं ।
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