हरियाना प्रदेश का लोकसाहित्य | Hariyana Pradesh Ka Lok Sahitya

Hariyana Pradesh Ka Lok Sahitya by शंकर लाल - Shankar Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १२. ) द्वितीय अध्याय ७९-११९ हरियानी बोली का अध्ययन-- ७६-११६ १. माषा-विज्ञान की दृष्टि से । पूवपीठिका -- ८१-प रे अर. नामकरण-- ८र-पा चा. हृरियानी का श्रव्ययन ( आवश्यकता )-- प्प्श इ. हरियानी का क्षेत्र विस्तार-- ८५.-पद्‌ ई हरियानी का समीपवर्ती बोलियों से पाथक्य-- ८६-१०३ (क) हरियानी श्रौर पंजाबी ८-६२ (ख) दृरियानी श्रौर राजस्थानी-अ- € २-६६ (ग) दरियानी श्र ब्रज-- ६६-६८ (घ) कौरवी श्र हरियानी-- टप्द-१०० (ड) दक्खिनी और हरियानो-- १००-१०३ उ. दरियानी और समीपवर्ती बोलियों के नमूने-- १०३-१०६ ऊ. हरियानी में साहित्य सृजन के अभाव के कारण-- ०६-१०६ २. व्याकरण की दृष्टि से-- ११०-११६ वतीय अध्याय १२१-३३६ सॉक-गीत-- १२१-३३६ अर. लघुगीत (पू्वपीठिका) णा १२३-२६६ क. संस्कार सम्बन्धी गीत -- १२६-२०१ जन्म के गीत -दौदहद ( श्रोजणा ) का वणुन प्रसव पीड़ा ननद भावज की बदनी वेग के गीत बधावा गीत छठी के गीत खीचड़ी के गीत इष्टिदोष तथा मूल उपशान्ति के गीत २२६६-१४ विवाह के गीत-+सगाई लगन भात न्योतना दलदातवान उचबटना मांढारोप ना भात के गीत लाडो मेंहदी जकड़ी विवाह के दिन वर-पक्त में घुड़ चढी या निकासी खौड़िया बरात की पहुँच रतजगा विवाह के दिन कन्या-पक्ष में चाक घोकना फेरे या चौंरी फेरों के पीछे (देवघर) के गीत छुन श्रौर विदा के गीत-- १४४-१६८




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