एकांत संगीत | Ekant Sangeet

Ekant Sangeet by बच्चन - Bachchan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एकांत संगीत द्‌ व्यर्थ गया क्या जीवन मेंरा ? प्यासी. आँखें भूखी. बहिं अंग-अंग (की | अगणित चाहें और काल के गाल समाता जाता हे प्रति क्षण तन मेरा व्यर्थ गया क्या जीवन सेंरा ? आशाओं का बाग गा हैं कलि -कुसुमों का भाग जगा हैं पीलें पत्तों -सा मुर्भाया जाता है प्रति पल मन मेरा व्यथं॑ गया क्या जीवन मेरा ?. क्या न किसी के सन को शाया दिल न किसी का बहला पाया ? क्या मेरे उर के अंदर ही गूँज मिटा उर-क्ंदन मेरा ? व्यथें गया क्या जीवन मेरा ? श्ट




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