उन्नत बीज वर्धन व वितरण कार्यक्रम का अध्ययन | Unnat Beeg Wardhan Wo Vitran Karyakram Ka Adhyayn
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26.67 MB
कुल पष्ठ :
365
श्रेणी :
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No Information available about जे. पी. भट्टाचार - J. P. Bhattachar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(ग) जांच और स्वीकृति यह महत्वपूर्ण है कि कृषि विभाग को ह्लास प्राप्त किस्म के स्थान पर चालू करने के लिए नई किस्मों की निरन्तर जानकारी रखनी चाहिए फिरभी कोई नई किस्म तब तक नहीं लाई जानी चाहिए जब तक यह निश्चित न हो जाय कि उससे उस समय तक उगाई जाने वाली किस्मों की अपेक्षा निश्चित लाभ होगा। उन्नत किस्मो की जाच उन परिस्थितियों में भली भाति कर ली जानी चाहिये जिनमे आगे चलकर काश्तकार उन्हें बोएगे ॥ (घ) बीज वद्ध सभी जिलों में बीजफार्मों की सख्या मे पर्याप्त वद्धि करने की आवश्यकता है और इस प्रकार के फा्म पूजी और कमेंचारियों की क्षमतानुसार यथाशीघ्र स्थापित किये जाने चाहिए। मोटे अनाजो दालों और तिलहनों को शुद्ध और उन्नत विभेदो के विकास के साथ साथ ही उनके बीज फार्मों की भी स्थापना होती रहनी चाहिए । (च) क्योंकि बीज लगातार ह्लास प्राप्त करता रहता है अतः कृषि विभाग को चाहिए किजेसे ही पहले पहल किसी फसल में हास दिखलाई दे वह उसे दूर करने की श्रमसाध्य प्रक्रिया अपनाने के लिए या उस ह्वास प्राप्त किस्म के स्थान पर दूरी किस्म प्रचलित करने के लिए तंयार रहें । छ) उन्नत बीजों का वितरण. (1) अछो साख वाले एव ईमानदार बीज व्यापारियों को क्रषि विभाग द्वारा प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए किन्तु भविष्य में काफी समय तक बीज वितरण कार्य कृषि विभाग की बहुत महत्वपूर्ण शाखा के रूप मे चलता रहना चाहिए । (2) विभाग को बीज वितरण कार्य में सहकारी एजेन्सी से बहुत अन्छी सहायता की संभावना है | - (3) प्रत्येक भू भाग की स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल अच्छे बीज के चमन और वितरण का कार्य षि विभाग द्वारा नियत्रित किया जाता चाहिए। परन्तु कृपि विभागों के लिए कोई कठोर नीति निर्धारण करना बुद्धिमानी नहीं होगी । (4) सामान्य परिस्थिति में बीज वितरण का कार्य स्वावलग्बी होना चाहिये । (5) बीज वितरण के लिए लेन देन से संबंधित वित्तीय नियम ऐसे बनाये जाने चाहिए कि चर्षभर में अधिक से अधिक बीजों का लेन देन किया जा सके । (ज) कृषि विभागों में बीजों के लिए अलग एकक विभाग में बीज वितरण और बीज-जाचे के लिए अलग प्रबन्ध होना चाहिए। इस संगठन के कायभार प्रत्येक प्रान्त में वद् के कृषि निदेशक के अधीन एक उपनिदेशक पर रहना चाहिए । श्र
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