श्री मद भागवत में वर्णित सामाजिक मूल्यों का अध्ययन | Shrimad Bhagwat Me Varnit Samajik Mulyon ka Adhyayn

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Shrimad Bhagwat Me Varnit Samajik Mulyon ka Adhyayn by अंतिमा श्रीवास्तव - Antima Srivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. पुराणों के अवतरण के सम्बन्ध में भी अनिक उन्यों में अनेक प्रकार के सकत हैं। इस सन्दर्भ में यह तथ्य स्मरण करने योग्य है कक पुराणों के विकास .. के पूर्व इनकी दा प्रकार की धाराएँ थी। एक पुखणधारा वह थी जो महा .. वेद व्यास के पूव चल रही थी औरणो भले ही लिखिति परम्परा के सूप में .. पृत्तिष्तित न हुई थी किन्तु परम्परा के स्प में वह विमान थी। दुसर्र पुराण की परम्परा वह थी जो भगवान व्यास के पशचात्‌कात् में प्रो्ती ध्ठत हुईं और जिस परम्परा में पलिख्ति सामग्री उपलब्ध थी। महार्ष . महनीय कार्य था कक उन्होंने पुराणों की स्थीति को शक आधार दिया और व्वास का यह... उनके बाद पुराणी की शक व्यवास्थ्त धारा स्पष्ट हो सकी ।... इस कथन के प्रमाण के स्प में कुछ पुराणों के वे सन्दर्भ गदश ना... _ सकते हैं जिनमें यह कहा गया है क पुराण शात्त्र ऐसे हैं लिनका स्मरण ब्रह्मा. ने सवप्ृथम पिकया। यह शब्द पुराण्वायक है और इसका विस्तार शकोपट पीरि- पिमत है। यह कंधन और आधव ल्‍ वस्तृत तब हो नाता है नब यह कहा जाता है | से वेद भी लिसत हुए । पराणों का फ्लक कतना व्यापक और विस्तृत है इस सम्बंध है मैं पुराण शहद की नो चयुत्यात्तयाँ दी गई हैं वे भी इस अर्थ में इसकी व्याप फ् गत कट मापु0 उ/3-4 वाएपु0 1/54




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