कहानी : नई पुरानी | Kahani Nayi Purani

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Kahani Nayi Purani by डॉ. रघुवीर सिंह - Dr Raghuveer Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४. सीवर-बाला आकर खड़ी हो गई । बोली-- मुकके किसने पुकारा ? मैंने । क्या कहकर पुकारा ? सुन्दरी । क्यों सुकमें क्या सौन्दर्य है ? और है भी कुछ तो कया तुमसे विशेष ? हाँ आज तक मैं किसी को सुन्दरों कदकर नहीं पुकार सका था । क्योंकि यह सौन्द्य-विवेचना मुझमें झब तक नहीं थी । - झाज श्रकस्मात्‌ यदद सौन्दर्य-विवेक तुम्हारे हृदय में कहाँ से आया ? तुम्हें देखकर मेरी सोई हुई सौन्दर्य-तृष्णा जाग गई । श्रत्यघिक भावुकतामय श्र कवित्वपूर्ण कथोपकथन कहानियों के स्वाभाविक प्रवाह मे बाघक ही बन जाते हैं । देश काल तथा वातावरण उपन्यास में तो इन तीनों बातों का समावेश होता ही है श्रौर कहानी में ये श्राए बिना रह नही सकती | घटना तथा पात्रों से सम्बन्धित स्थान काल तथा उपयुक्त वातावरण की एष्ठ-भरूमि कथाकार को ही प्रस्तुत करनी पड़ती है किन्तु उपन्यास की अपेक्षा वह बहुत ही संद्तेप में श्र वस्तु-विन्यास से सम्बद्ध श्रत्यावश्यक क्षेत्र तक ही सीमित रहती है । देश काल तथा वातावरण का यह चित्रण बहुत स्वाभाविक श्ाक्षेक श्र यथासम्भव पात्रों की परिस्थिति के श्रनुकूल होना चाहिए । ऐतिहासिक ही नहीं किसी स्थान- विशेष को लेकर लिखी गई कहानियों में उस काल या स्थान को लेकर किये गए. वनों या घटना-क्रम को प्रस्तुत करते हुए उस काल या स्थान-विशेष की विशेषताश्रो की पूरी जानकारी श्रावश्यक है एवं उनका पूरा-पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए वरना कई एक बहुत ही मद्दी भूले हो जानी श्रसंभव नही । प्रेमचन्द जी की विश्वास कहानी को ही ले लीजिए ( मानसरोंवर . भाग




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