दलितों के मुक्तिदाता बाबा साहेब अम्बेडकर | Dalito Ke Mukti Data Baba Saheb Ambedaker
श्रेणी : धार्मिक / Religious, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.17 MB
कुल पष्ठ :
37
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रद बुद्धि और शक्ति के अनुसार कुछ न कुछ काम किया जरूर लेकिन अछतों की असली बीमारी का वह सही निदान नहीं कर सके बल्कि कहना चाहिए कि वह छुआ-छूत के बाहरी लक्षणों को देख कर गलत इलाज करते रहे। कोई भी वेद्य चाहे वह धन्वन्तरि भी क्यों न हो जब तक रोग के सुल कारण को नहीं जान सकता वह बीमारी का इलाज करने में असमयथे रहेगा ॥ मानना पड़ेगा कि ऐसे साधु सन्त महात्मा और गुरुओं ने बीमारी की जड़ को पकड़ने का या तो प्रयत्न ही नहीं किया अथवा उन में इस भयानक रोग के कीटाणुओं की जानकारी के लिए जिस बुद्धिमत्ता योग्यता और क्षमता की आवद्यक ता जरूरी है वह थी ही नहीं । बाबा साहेब ही अछत इतिहास में ऐसे पहले महापुरुष हैं जिन्होंने अछुतों की बीमारी का मूल कारण खोजा और हिन्दू धर्म के मुलभुत धरमंग्रन्थों को बड़े ध्यानपुवक पढ़ा और मनन किया । आखिर में वह इस परिणाम पर पहुंचे कि अछ्तों की गरीबी जहालत अनपढ़ता अपमान और जो अन्य अत्याचार अन्याय इन पर शताब्दियों से होते चले आ रहे हैं उनका असली और मूल कारण तो हिन्दू धर्म ग्रन्थ ही हैं । बाबा साहेब ने इस बीमारी की जो करोड़ों सानवों को आज भी अस्पृश्य बनाये हुये हैं इसके विषैले किटाणु हिन्दू धर्म में पवित्र समझे जाने वाले ग्रन्थों और ऐसे ग्रस्थों पर आचरण करने वाले सवर्ण हिन्दुओं के दिल व दिमाग में मौजूद पाये । ऐसी खोज और छानबीन करने के बाद यह अनुभव किया कि अछूत जब तक हिन्दू धर्म और उसके धर्म ग्रन्थों को मानते रहेंगे उनकी हालत कभी भी नहीं सुधर सकेगी और व्रह सदा के लिए अछ्त ही बने रहेंगे । हिन्दू समाज में जब तक चारों वर्ण मौजूद हैं और जब तक इन चारों वर्णों का कायम रखने वाले धर्म ग्रन्थ मौजूद हैं तब तक अछुतों का कभी उद्धार नहीं हो सकता । हिन्दू धर्म की बुनियाद में ही अछूतों के लिये नफरत घृणा और सामाजिक असमा नता
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