भगवतीचरण वर्मा रचनावली 2 | Bhagwaticharan Verma Rachnavali - 2

Bhagwaticharan Verma Rachnavali - 2 by धीरेन्द्र वर्मा - Dhirendr Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यह कमलाकान्त जिसके मुँह से कीमती सिगरेट लगी हुई थी जो तीन साल से यूनिवर्सिटी में रिसर्च कर रहा था लेकिन जिसकी थीसिज् अभी आधी भी नहीं हो पाई थी जिसके पिता इटावा ज़िले के एक बहुत बड़े ज़मींदार थे और वह अपने लड़के को दो सौ रुपया महीना पढ़ने के लिए या मौज करने के लिए भेज दिया करते थे वह कमलाकान्त यह सब कह रहा था शायद उसे यह सब कहना शोभा भी देता था। यूनिवर्सिटी रोड के चौराहे पर एक ताँगा खड़ा था। जगतप्रकाश से कमलाकान्त ने कहा चलो यहीं पर तॉगा मिल गया था कटरा तक पैदल नहीं चलना पड़ा । और दोनों ताँगे पर बैठ गए। ताँगा चल रहा था और कमलाकान्त कह रहा था जगत मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि तुम मेरे साथ जबलपुर चलो । खर्च की कोई चिन्ता न करना मैं तुम्हें अपने साथ लिए चल रहा हूँ। तुम मेरे अतिथि के रूप में रहोगे। आज देश एक भयानक बेहोशी की हालत में पड़ा है कहीं कोई जीवन नहीं नज़र आता । प्रान्तों में भारतीयों को मिनिस्टर बना दिया गया है लेकिन यह सब ढोंग है। सत्ता तो इन प्रान्तों के अंग्रेज़ गवर्नरों के हाथ में है जो ब्रिटिश नौकरशाही के प्रमुख हैं। और ये हिन्दुस्तानी मिनिस्टर ये ब्रिटिश साम्राज्यवाद को अतिशय शक्तिशाली बनाने के लिए साधन-भर हैं ये लोग निरे गुलाम हैं जिन्हें ब्रिटिश सरकार के बतलाए हुए रास्तों पर चलना है। ये कांग्रेस सरकारें ये मखौल हैं जगतप्रकाश को कमलाकान्त की बातों में मज़ा आने लगा था उसने कहा लेकिन देश में स्वतन्त्रता-संग्राम चलानेवाली एकमात्र संस्था तो यहाँ कांग्रेस है और कांग्रेस ही ब्रिटिश साम्राज्यवाद की कठपुतली बन गई तो देश की स्थिति नितान्त निराशाजनक हो जाएगी । मैं तो समझता हूँ कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ब्रिटिश साम्राज्यवाद के हाथ में कठपुतली नहीं बन सकती । कमलाकान्त मुसकराया तुम ही नहीं देश के करोड़ों आदमी ऐसा समझते हैं और इसीलिए देश की नवीन चेतना कुठित और रुद्ध हो रही है। गांधी के दो बड़े आन्दोलनों से हमें मिला कुछ भी नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा विग्रह देश में आ गया है। जगतप्रकाश इतना समझ लो कि हमारा वर्तमान नेतृत्व हासोन्मुख है मनुष्य की बढ़ती हुई उम्र के साथ उसका विकास रुक जाता है। गांधी का काम पूरा हो चुका अब गांधी के नेतृत्व में देश उन्नति नहीं कर सकता । देश का नेतृत्व किसी जवान आदमी के हाथ में आना चाहिए । त्रिपुरी कांग्रेस में चलकर हमें यह देखना है कि क्या यह देश का नेतृत्य जवान आदमियों के हाथ में आएगा या उन्हीं बूढ़े लोगों के हाथ में रहेगा जो /़के-हारे हैं जिनकी आन्तरिक प्रेरणा समाप्त हो चुकी है जो अपने को किसी तरह क्र घसीट रहे हैं जिनमें सोचने-समझने की शक्ति क्षीण होती जा रही है या फिर उस धरव नेताओं के हाथ में है जिनकी जीवनी-शक्ति उन्हें लड़ने को प्रेरित कर रही है जो युग की गतिविधियों के साथ हैं। लेकिन हमारे देश में यह नवीन नेतृत्व है कहाँ ? जगतप्रकाश ने पूछा युवा नेताओं में जवाहरलाल नेहरू का नाम लिया जा सकता है और जवाहरलाल समाजवादी 24 / भगवतीचरण वर्मा रचनावली-2




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