रांगेय राघव की सम्पूर्ण औपन्यासिक जीवनियाँ २ | Rangeya Raghava Ki Sampurn Upanyasik Jeevaniya 2

Rangeya Raghava Ki Sampurn Upanyasik Jeevaniya 2 by अशोक शास्त्री - Ashok Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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480 / भौपन्यासिक जीवनियाँ पुरी थानेसर बीकानेर बम्बई जम्मू सतारा ग्वालियर ब्ंवान जोधपुर करनाल दिनाजपुर क्वेटा मेदिनीपुर अफगानिस्तान मैसूर जैपुर इत्यादि । इनमें हिंदू भी हैं और मुसलमान भी । इनमें से कुछ में शाक्तपद्धतियाँ भी प्रचलित हैं । रावल संभवत लकुलीशों का परिवत्तित रूप है । चर्पटनाथ का महत्व इसमें लगता है कि इन्होंने सहजयानी सिदों तथा अन्य परंपराओं की रसेश्वर सम्प्रदायी परंपरा को नाथ सम्प्रदाय में मिलाया । चर्पटनाथ के कई नुस्खे मैंने देखे हैं जो बड़े अजीब लगते हैं । उनमें मध्यकालीन रसायन शास्त्र है और सोना बनाना इत्यादि कीमियागरी अधिक है । चपेट विद्रोही था और यही मैंने स्पष्ट किया है । इस्लाम का रूप दिखाते समय मुझे सत्य को प्रगट करना ही श्रेयस्कर लगा। मैंने समन्वय के नाम पर विदेशी साम्राज्यवादी शोषक को किसी प्रकार भी बदल कर नहीं रखा । इस्लाम के क्रोड़ में जो तीन वर्ग थे उन्हें मैंने उपन्यास में स्पष्ट कर दिया है-- 1. शासक वर्ग 2. मुल्ला वगं-पुरोहित वर्ग 3. तथा जनता इस जनता में दो तरह के मुसलमान थे--देसी लोग जो मुसलमान हो गए थे और वे जो बाहर से आये थे । बाहर से आने वालों में ही सुफी भी थे जो आगे चलकर हमें प्रेममार्गी कवियों के रूप मं दिखाई देते हैं कितु वे सहसा ही खड़े नहीं हो गए थे । उनके पीछे भी एक परंपड्रा विद्यमान थी । इतिहास और व्यक्ति समाज और विचारधाराएँ इनको मैंने समान दृष्टि से देखने का प्रयत्न किया है । यदि मेरा यह प्रयास पाठकों को रुचिकर लगता है तो मेरा श्रेय सफल होगा-- --्रगेय राघल यहाँ हमने गोरख के नाम से विख्यात पदों को प्रयुक्त किया है क्योंकि इस समय तक यही पद गोरख के नाम से चल पड़े थे ।




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