अतीत के चलचित्र | Atit Ke Chalchitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.76 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चल-चित्र की देहली. पर बैठकर किवाड़ से सिर टिकाकर निश्चेष्ट हो. रहा। उसे सिंखारी समक जब उन्होंने निकट जाकर प्रश्न किया तब वह ए मताइं ए राया तो भूखन के मारे जो चलो कहता हुआ उनके पैरों पर लोट गया । दूध मिठाई आदि का रसायन देकर माँ जब रासा को पुनर्जीवन दे चुकी तब समस्या श्ौर भी जटिल हो गई क्योंकि भूख तो ऐसा रोग नहीं जिसमें उपचार का क्रम टूट सके । वहू बुन्देलखणुड का आमीण बालक विमाता के अत्या- चार से भाग कर साँगता खाता इन्दौर तक जा पहुँचा था जहां न कोई झपना था आर न रहने का ठिकाना । ऐसी स्थिति में रासा यदि माँ की ममता का सहज ही झ्धिकारी बन बेठा तो आश्चर्य्य क्या / उस दिन सन्ध्या समय जब बाबू जी लोॉटे तब लकड़ी. रखने की कोठरी के एक कोने में रामा के बड़े-बड़े जूते विश्राम कर रहे थे भ्ौर दूसरे में लम्बी लाठी समाधिस्थ थी | चोर हाथ मुँह घोकर नये सेवाब्रत में दीक्षित रामा -हका-बका सा अपने कर्तव्य का अर्थ घोर सीमा समकने में लगा हुआ्ा था । ..... बाबू जी तो उसके श्परूप रूप को देखकर विस्मय- _ विसुर्ध हो गए | हँसते हँसते पूढा--यह किस लोक का जीव
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