हिंदी विश्व कोष भाग 2 | Hindi Vishvkosh Bhag 2

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Hindi Vishvkosh Bhag 2  by नगेन्द्र नाथ वाशु - Nagendra Nath Vashu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अमिहइ--अपमिशकषा प्रमि्तद (से + दिन) विस्तारित सबद बढ़ा भुधा को पेश गया हो । अमिहदि ( सं को ) सबदि संयोम सफलता बढ़ती सेल बयामयादी पत्तिद्ट (सं ब्ि०) १ सिदछित सोचा ऋचा जिसमें पानी दे चुकें। ४ बरसा छुभा ला बरस भुकता इो। अमिषेम ( स पु ) विचार अमीडू लयाल इरादा असिल्यश ( स ० लिन ) अमि विनय क्मोष्ि श । १ फलोग्सुचोशत कादिए ड़ । कब देस्लक्रिन्छ रौरष दौन्देरिचलू । (दारू) श अमिव्यलियुक्ष प्रकाशित छादिर छिपा भा को बताया थया औो। ₹ सांक्यादि मतसि आविर्मावद्ुक । ( पष्य० ) ४ प्रदाप्यमावपि साफ साफ । अभिव्यक्ति. एस + सो) अति विष शिमू। १ प्रदाय शुक्र । २ थोपणा डिठोरा। ह सॉच्यादि मतसिद सूध्मरूपस्ित कारलणका ब्टायेरूप दिमाग । श एकरप स्थित पदाएंका भग्पकप प्रकाय । अभिष्यद्दप्य (से ० हि० ) प्रदाणित लिया लानेवाल्ा थो साफु-साप्‌ बताने काबिशस चो । पमिस्वच्पसात ( स हि ) प्रष्णथित किया छाति भा लो साफ-शाप बतावा शा रचा ो। अपमिष्थष्थक ( स ० ति० ) पमिष्यच्दयति प्रकाशयति परसतिषि पक्ष चिच व्यू ।. १ पशाएकश लाहिर ब्रनेदाशा। ४ मिर्देपक ल्‍थो बताता आओ । ४ अस्त ारमतप स्वच्यताज्वतति इाणा प्रकाशक । असिप्दष्ट्द (सं कोन ) प्रतापग अूपद्िर करने चाआत | अमिव्दादान (सम ० ह्लीन ) १ नियस्थित शब्द दवों यो भादाजु । २ असिद सष्दकों मुगराद्रति रसो आबाजुका दोइराव पम्िस्दाधितू (स लिन) पराधातकाजं अतिकशदापक भार छासनिवाला लो गदरी चोट समाता दो पमिष्यापक (से ० त्िं० ) चमितों श्याप्रोति असि- कि-पाफच्तखू। सकल दिन स्पापक लो सबल स्वयं व्याप्त ो सब ओर मरा इभए को शव श्र अलामें समा रहा हो । ३ ब्याकरणसतसे-बकलश अवयव व्याप्त पाधार अमिष्थापक ता है । चौपह दिचो बैदडियोएस्रिस्वएरकषद ल्याइारस्थि्।। ( चिइसिकोतरी ) भमिष्या्त (स ० हि ) सब्यित्तित थासिल मिशा ऋुभा। अभिष्याप्ति (से सो ? अमिनथि अप सावे किशू । सब्हस दिक ध्यापन स्दै्त पदस्थान सकश भ्वयप ब्वापति सब तफे समायो मब कम रदादिय सब नइशगष्टी पेठ 1 पस्िस्याप्द ( स लिन ) अमिव्याप्यती असि-विन्मापु कऋ्मति चत्‌। १ सखल पबदन प्यापनोय सब प्रद्याि समा ऋानिवाशा । ( भप्य० ) स्पू। २ सब्तस अऋबयव्मि ध्यात कर सब अल समाके । पमिव्याइरल (से ० को ) चजिष्यशार देखे । पमिस्यादार ( से ० पु ) अभि सौसर ध्यादार रडकिद चमि-वि-्पा-इ-बणु। १ प्रयप्त चक्र मक्षी बात । शथ उलारण तशफू फुल 1 अमिर्थादारिशू (सं दिन) कारण व्तरनियाला को क् रचा ो । पमिष्याज्वत ( स ० दि ) ठशारित कच्चा 1 णो सुदसे निकल बया ो। अस्तिडक ( बे० पु० ) आक्रमतद्य असला चढ़ाई प्रम्लिमंसक ( सं बिन ) १ अमियोव लगाविवाला को इशल मम शमाता दो । २ अपमान करनेंगासा लो इल् त सतारता औो। ए अपणन्द क्मेदाशा लो माल्षो देता डा । अस्िशसब (स० हो) अमित शंसर्न फ़ोशबचन आशेप्यापवादों था अम्ि-पर्प-सुयद । १ भअपदाद इस काम । र पदप बाक्दप्रयोग कड़ो बातका ऋदना | इ आकोय बद्दुबा | अमिर्ससियू अशिशंवद रैली । पत्तिपक्ष (स५ हि) अभित महा सज प्रादिचडुतो+ । सदेजा शद्दाजुश जिसे सब तरझ शक बना पढ़े । अमिवदा ( स चऋो ) अमित शा मादि तय अमि-पह-माषे प राप्‌ । १ सदा घक्ा सकस प्रसार गाया य सय ब्यम यक ।




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