मेरी कहानियाँ | Meree Kahaniya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.69 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भैरव प्रसाद गुप्त - bhairav prasad gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)केवल एक दिन के लिए जनयरा या मरीना था । भआावाश मधार्छनन था । तज ठडी हुवा चल रही थी । नटी-ही नाल पड जाने व वयरण थमामीटर वा पारा बहुत नीचे चला गया था । णहर प॑ बाहर एम बच्ची ऊँचा नीची सडक पर पई अधनग दुबन पत्ते पाले लूट आटमी एवं अरथी तिय हुए था रहे थे दिस पर मारकीत वी एक घादर परी हु थी। अरथी व साथ साथ एज आटमी सिर पुपाय हुए चल रहा था । उरावी जायु तीग वी होगी । घह पाव पाँव चलरर हो एवं रिवगा सीच रहा था । रिव्श पर पाँच बच्च बठ तेट भर जधलेट थे । उन पर एव पुरानी उधफरी मैसी चारर पड़े थी। विसी बच्चे का हाथ या पाँव चारर न बाहर निवल जाता तो वह आदमी चलत हुए ही थाटर सीघकर उसे व दया । पर तरथी उन बच्चा पी माँ बी थी। जो रिया दोच रहा था पद उनका बाप दोधा था । सुबह जब बच्चा दी नॉँखें जी थी ता उप दधा था कि उतयी मोठरी लांगा से भरी हुद है माँ जमीन पर सटी है नौर बाप उसका एवं हाथ पकड़े रो रहा है। बाप बे रोते दखवर सबसे छोटा बष्दा मु पाटगर रोन सगा था लार उस दाल एव एवं वर सय बच्च रन तसग थ1। मोरता न उ हू सभासन की बाशिश की थी ता बे हाप-पाँव बेवल एव दिन थे सिए. 17
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