ताराबाई | Tarabai

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Tarabai by द्विजेन्द्रलाल राय - Dvijendralal Ray

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ताराबाइ । प्रथ्बी०-- हाँमेंहूँ। झभी चॉक पढ़े क्यों झाप ? सूय॑ं०-- नही, चौंका कहाँ प्रथ्वी ०--कदिए, मुझसे आप छिपात किस लिए ? सृय॑०--सोच रहा था--नहीं नही-वह कुछ नहीं । साधारण थी बान । प्रथ्वी ०--- चचा मेरे, वद्दी मुझसे कहिए--कहिए तो क्या बात है ? श्ाता जाता नित्य, न देखा झापकों कभी चोकते ।--कहों । सूय०-- कहूँ १--था सोचता, भाइको जा स्त्यु हुई तो कौन फिर राजा होगा ? पृथ्वी०-- राजा होगे संग ही | वही बडे हें ।--इसकी चिन्ता व्यथ है । सुय०--पुत्र, समस्या सरल न इतनो हैं । प्रथ्बी०-- चचा कया ऐसा है कठिन प्रश्न ? मैं तो यही जानें , बेटा बडा राज्य पाता सदा । श्र सूय०--सदा नह्दी । इतिहास उलटकर देख ला । छोटेको भी कभी-कभी गद्दी मिले । पृथ्वी ०--जयमल को ” धिकार '




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