नागरी प्रचारिणी पत्रिका भाग 10 | Nagri Pracharini Patrika Bhag - 10
श्रेणी : पत्रिका / Magazine
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.47 MB
कुल पष्ठ :
113
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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( तमासे तरदीकाते दुनियावी मरा दूर कुनेद-एऐ राधा दाशमंद
ाँकि झज़ उफतादने श्रकसे तन ऊ कि मिस्ले जाफूरानस्त, रंगे
सियादे कान्द सरसब्ज मीशवद याने अज़ मुल्ाकाते ऊ कान्ह
खुशवक्त मीशवद )
( मेरे खब सासारिक दुःखे को दूर करो ए वद्दी चतुर राघा--
जिसके तन ( जा केसरिया रंग का है ) की छाया पढ़ने से कान्द
जा श्याम रंग के हैं इरे-भरे दो जाते हैं भ्र्थात् जिसके मेट दाने से
कान्इ प्रसन्न दो जाते हैं )
इस पुस्तक मे ६४० दोहे रखे गए हैं श्रौर दोहें। का पूर्वापर
क्रम इसमे बिहारी के निज क्रम के अनुसार है । इसके क्रम तथा
सख्या क॑ विषय मे बिहारी की निज क्रम की पुस्तकों के विवरण के
श्रतगंत लिखा जा चुका है ।
(४५३ )
तिरपनवीं टीका बिह्दारी-रल्लाकर नाम की स्वय इस दीन लेखक
की की हुई है । इसका प्रथम सस्करण नवल किशोर प्रेस लखनऊ मे
छपकर पडित दुलारलालजी भार्गव द्वारा प्रकाशित हुआ है । इसके
विषय मे कुछ विशेष वक्तव्य नटदीं है । इसमे दोष्टों के पूर्वापर क्रम
तथा सख्या झनेक प्राचान हस्तलिखित प्रतियों के श्राघार पर चद्दी
रखे गए हैं जा स्वय बिहारी के समभे गए । दोहों के पाठ भी
इस में प्राचीन प्रतियें के सद्दारे यथासंभव शुद्ध किए गए हैं । इस
संस्करण मे अलंकारादि का बखेढ़ा नहीं उठाया गया है । कवल
दादी के यथार्थ भावों के स्पष्ट करने की चेष्टा की गई है। इसमें
टीकाकार कहां तक सफल हुआ है यह विज्ञ पाठकों की भ्रनुमति
पर निमंर है ।
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