गर्भ - रंडा - रहस्य | Garbh - Randa - Rahasya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.86 MB
कुल पष्ठ :
95
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गर्भ-गरड़ा-रहस्य । ड्
( रेश )
उस लड़के का बाप, बरा फल जान चुका है ।
परख मु देवज्ञ, शिरोमणि मानचुका है ॥
यादि पछों अह-दोष, दान जप से हटता है ।
हटता है, पर पाप, न निधन का कटता है ॥
( रद )
याद समझो मा-बाप, न अपना बालक देंगे ॥
देंगे, पर. धनहीन, दीन दुम से कुछ लेंगे ॥
इस का ठीक प्रबन्ध, दाम दे फर करदूँगा ।
जाकर उन के हाथ, ठनाठन से भरदूँगा ॥
( १७
करदो... सुखदारम्भ, भूल से दुःख न सहना ।
भ्रेयस्कर.. सदुपाय, प्राणवलज्लम से कहना ॥
यों प्रपत्र रच पोच, कड़ा कर मा के डर को ।
लेकर सो कलदार, सिधारा अपने घर को ॥
(१८)
मग दुखिया का बाप, रात को घर पर आया ।
मा ने अवसर पाय, रची इस ढब से माया ॥
स्वामी ! कुलरिपुरूप, दुरभेक पेट पड़ा है।
जिस का जन्म जघन्य, आप को बहुत कड़ा है ॥
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