गर्भ - रंडा - रहस्य | Garbh - Randa - Rahasya

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Garbh - Randa - Rahasya by नाथूराम शंकर शर्मा - Nathuram Shankar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गर्भ-गरड़ा-रहस्य । ड् ( रेश ) उस लड़के का बाप, बरा फल जान चुका है । परख मु देवज्ञ, शिरोमणि मानचुका है ॥ यादि पछों अह-दोष, दान जप से हटता है । हटता है, पर पाप, न निधन का कटता है ॥ ( रद ) याद समझो मा-बाप, न अपना बालक देंगे ॥ देंगे, पर. धनहीन, दीन दुम से कुछ लेंगे ॥ इस का ठीक प्रबन्ध, दाम दे फर करदूँगा । जाकर उन के हाथ, ठनाठन से भरदूँगा ॥ ( १७ करदो... सुखदारम्भ, भूल से दुःख न सहना । भ्रेयस्कर.. सदुपाय, प्राणवलज्लम से कहना ॥ यों प्रपत्र रच पोच, कड़ा कर मा के डर को । लेकर सो कलदार, सिधारा अपने घर को ॥ (१८) मग दुखिया का बाप, रात को घर पर आया । मा ने अवसर पाय, रची इस ढब से माया ॥ स्वामी ! कुलरिपुरूप, दुरभेक पेट पड़ा है। जिस का जन्म जघन्य, आप को बहुत कड़ा है ॥




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