औरंगज़ेब नामा भाग 2 | Aurangjebnama Vol 2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : औरंगज़ेब नामा भाग 2  - Aurangjebnama Vol 2

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुंशी देवीप्रसाद - Munshi Deviprasad

Add Infomation AboutMunshi Deviprasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
खण्ड र-औओरंगजेब दिडीमें. (१९) उज्जैतके जमीदारके बकौठ सैयद भव्रदुद्वहावने मुढाजिमत करके खि्मत पाया. (२) , सच १०८० हि० । संवतु १9९६ १६ मोहरम सन्‌ १०८० (जेट्सुदि १४ संत्र्‌ १७९६ । इज ) को बादशाह पहर भर रात्र गये पीछे हयातत्रदश वागसे शेख सेफुददीम सराहदीके मक्रांव पर गये और एक घड़ी तक फकॉरीको वातें करते रहे. बादशाहसे जर्ज हुई कि हिंदुओका मादूद ( पूव्य ) ऊधो बैरागी उन छोगोंको वहकानेकी सजामें कोतवाठी चबूतरेें कैद था. उसके चेछोंमेंसे दो राजपूत उसके छुडानेकी कोरिरामें काजी अवदुछवहावके बेटे कार्जी अवुरुमुकारमके पास आया जाया करते थे. मौका पाकर उन्होंने का्जोके ऐसा कारी जमघर मारा कि उसको जिदगीकी डोरी कठगई वादशाहके इबमते वे तानों वेदीन सयासतत ( फौजदारीके ) कायदेसे कतल हुए, रवनाय सीसोदियाने रानाको छोडकर दरगाहफ्री चौखट चूमी हनारी ३०० सवारका मनसव जमधर सर १ हजार रुपया उसकों मिछा. बसरेके दाकिम हुसेनपाशाका द्रगाहमें आना । मुख्तानकी सरहदके ख़बर छिखनेबाोंकी अरजियोंसे भर्ज हुई कि बसरेका हाकिम इतेनपाशा पुढतानखूमसे विगाढ होजाने और उसकी जगदद याहम पाशाके आाजानिसे न वहां व्दर सका और न कैसररूमके पास जासका ढाचार अपने बाढ़ द्ों और कुछ नौकरोंके साथ बतने छोड़कर ईरानमें गया मगर वहाँ भी मुराद हासिक न हुई, तो जब वह इस बडी दरगाहमें माथा घिसनेके आास्ते आता है, जो तमाम दुनियाके छोटे वढे आदमियोंकि मुरादें मिछनेकी जा हैं. वाददाइने मेहखानी और कदरदानीसे छाईकवेग गुर्जेबरदारंको हृक्म दिया कि, वह सहरंदे पईंचकर खिल्जत, पाठ्की और हृथिनी उसको दे भीर बाद- 7 १ कठकततिकी प्रतिमें माचीन है. २ इसकेआगे कछकरेकी प्रतिमें यह वात और छिलौ दै कि लाल्वद्याइर गु्बेबददार मठारनेका मन्दिर गिरानेके लिये रुखसत्र हुआ, ३ रडनाथ, ४ कबकततिकी प्रतिमें अरतकोग, . “ ी भव




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now