व्यापारिक पद्धति और यंत्र भाग 2 | Vyaparik Paddhati Aur Yantra Bhag-1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.27 MB
कुल पष्ठ :
338
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अमर नारायण अग्रवाल - Amar Narayan Agrawal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| व्यापारिक पद्धति श्र यत्र
२. एकाकी व्यापारी किसे कहते हैं १ एकाकी व्यापारी को किन हानियों
श्र दोष का सामना करना पडता है ? फिर भी एकाकी व्यापारी क्यो चलता
जाता है ! (उत्तर प्रदेश, १६५३)
३. एकांकी व्यापारी सगठन से श्राप कया समकते हैं १ साकेदारी व्यापार
की श्रपेक्ता एकाकी व्यापारिक सगठन के क्या-क्या मुख्य शुण श्रौर दोप होते
हैं १ स्तेप में वर्णन कीजिये । (उत्तर प्रदेश, १६५२)
राजपूताना; इन्टर काम से
४. एकाकी व्यापारिक के लाभ दर दोषों की विवेचना कीजिये । व्यापार
की किन शाखाश्ों में उसने श्रपना स्थान श्र तक बनाये रखा है, श्रौर
क्यों १ (१६५३)
उस्मानिया इन्टर कामसे
४ एकाकी व्यापार मवन के लाभ और दोषों का वर्णन कीजिये |
(उत्मानिया, १६५२)
६. एकाकी व्यापार का क्या शर्थ है १ उसके संगठन के क्या लक्चण होते
हैं । (डस्मानिया, १६५१)
डरक्ल; इन्टर कामर्स
७. एकाबी व्यापार भवन के लक्तण क्या होते हैं ? उसके लाभ और
हानियों की विवेचना कीजिये । (१६५२)
मध्यमारत, इन्टर कामर्स
८. एकाकी श्रथ॑वा व्यक्तिगत व्यापार से श्राप कया श्रर्थ सममकते हैं !
इस व्यापार की कया मुख्य विशेषताएँ होती हैं १ उसके लाभ और दोषों का
सविस्तार विवेचन कीजिये । (सध्पभारत १६५५४)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...