व्यापारिक पद्धति और यंत्र भाग 2 | Vyaparik Paddhati Aur Yantra Bhag-1

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Vyaparik Paddhati Aur Yantra Bhag-1 by अमर नारायण अग्रवाल - Amar Narayan Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| व्यापारिक पद्धति श्र यत्र २. एकाकी व्यापारी किसे कहते हैं १ एकाकी व्यापारी को किन हानियों श्र दोष का सामना करना पडता है ? फिर भी एकाकी व्यापारी क्यो चलता जाता है ! (उत्तर प्रदेश, १६५३) ३. एकांकी व्यापारी सगठन से श्राप कया समकते हैं १ साकेदारी व्यापार की श्रपेक्ता एकाकी व्यापारिक सगठन के क्या-क्या मुख्य शुण श्रौर दोप होते हैं १ स्तेप में वर्णन कीजिये । (उत्तर प्रदेश, १६५२) राजपूताना; इन्टर काम से ४. एकाकी व्यापारिक के लाभ दर दोषों की विवेचना कीजिये । व्यापार की किन शाखाश्ों में उसने श्रपना स्थान श्र तक बनाये रखा है, श्रौर क्यों १ (१६५३) उस्मानिया इन्टर कामसे ४ एकाकी व्यापार मवन के लाभ और दोषों का वर्णन कीजिये | (उत्मानिया, १६५२) ६. एकाकी व्यापार का क्या शर्थ है १ उसके संगठन के क्या लक्चण होते हैं । (डस्मानिया, १६५१) डरक्ल; इन्टर कामर्स ७. एकाबी व्यापार भवन के लक्तण क्या होते हैं ? उसके लाभ और हानियों की विवेचना कीजिये । (१६५२) मध्यमारत, इन्टर कामर्स ८. एकाकी श्रथ॑वा व्यक्तिगत व्यापार से श्राप कया श्रर्थ सममकते हैं ! इस व्यापार की कया मुख्य विशेषताएँ होती हैं १ उसके लाभ और दोषों का सविस्तार विवेचन कीजिये । (सध्पभारत १६५५४)




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