छान्दोग्योपनिषद | Chhandogyopanishd

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Chhandogyopanishd by रायबहादुर बाबू जालिमसिंह - Rai Bahadur Babu Zalim Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्वान्दोग्योपनिषद्‌ स० 1. ७ व्यक्षम उद्ीया तत वा एतत्‌ मिथुनम यते वाकू च प्राण च कक वे साम च ॥ पदार्थ पदार्थ वाकूल्वासी .... एतत्‌-यह एवन्ही मिथुनम्‌-जोड़ी ऋकल ऋचा डे | वा-निशचयकरके चन्द्र. + निर्दिश्यते-कददीजाती है ही . +ततत्सोदई सामनसामवेद है |. - करवा इति-इसप्रकार च-ओर एततन्यदद |... वाकून्वाणी है. कर चन्और . |. मे तत्‌न्‍सोई . है |... प्राणम्तमाण यतूनजों | . चत्और तत्व साम-सामंवेद दे जो वाणी है सोई ऋचा है जो प्राण है सोई सामवेद है याने वाणी विना ऋचा के उच्चारण तहीं होसकती है और प्राण विना सामवेद का गान नहीं होसकता है अथवा वाणी ऋषचा सामवेद यह तीनों प्राण के आश्रय हैं जबतक प्राण हे तबतक ये तीनों हैं और जबतक यह तीनों हैं तबतक प्राण है. तीन यानी वाणी ऋषा सास एक तर के करके और प्राण को दूसरी तरफ करके यदि. झतुभव किया जाय तो केवल पकहं




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