भगवद्गीता सटीक | Bhagvadeeta sateek

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Bhagvadeeta sateek  by रायबहादुर बाबू जालिमसिंह - Rai Bahadur Babu Zalim Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| पहिला अध्याय । ५ ५ सभय द्रोखाचायजी के पस क्यों जाता, युद्ध की ते यारी करता पर एेसा उसने नही किया, इसीसे जाना जाता है कि दुर्योधन को ही भय हुआ था, पाणएडवों को नहीं ॥ २ ॥ मलम। पश्यता पाएंडपत्रासामाचाय महता चमम ! स्युटा इ पदपुन्रस तवं 1शिष्यण घामता ३ पदच्छेदः । पश्य, एतास्‌, पाणएडुपुत्रासाम, श्राचाये, महतीम, चमूस, न्यूटाम्‌, डपद्पुत्रेस, तब, शिष्येण, धीमता ॥ अन्वयः श्ख्वार्थ | अन्वय शब्दार्थं ` आचार्य~हे द्रोाचाय॑ |` पारडयु }._ पाणड्के 5 ८ ५ एताम्‌ः = बुदिमा १ 3 न. व्यूढास-रचीहुई शिष्येण=शिप्य महतीम्‌=बड़ी ` दुपदपुत्रेणनद्पद के पुर चमूम=तना को करके पश्य~द्रखो भावार्थ । हे राजन्‌ ! अन्तर भययुक्क होकर दुर्योधन द्ोणा-




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