केशव - सुधा | Keshav Sudha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.85 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श कशब-सुघा ,ः
डर . ्
: रामचन्द्रिका के पर्थों को तीन भागों में चाँटा जा सकता दै-:
( १ ) संवादात्मक, ( रू) बर्णनात्मक श्पौर ( ३ ) कया-सूतर
जोड़ने वाले [.......:...
कथा-सूत्र जोड़ने वाले पद्यों से भाव-पू्ण होने की आशा:
नददीं की जा सकती । वे नीरस दोते हैं पर प्रचन्व-रस से सरस.
प्रतीत दोने लगते हैं, केशव में प्रवन्व-रस की कमी हैं । अतं:
ये पद्य कविता की दृष्टि से साघारण हैं| .”. ... . . . ....
“कैंशाव के संवाद श्चिकांश में सुन्दर हैं. संवादात्मक
पंथ्य भाव यूण है पर उनमें से बॉविकोंश संस्कृत के झनुवाद-
मात्र दें। सुर्मात-विमति का संवाद प्रसन्नरावव के वातालाप
का. झनवाद है । रावंणुवाण-संवादिफर आर राम परशुराम-
संवाद 'पर भी, प्रसन्नरावव का काफ़ी प्रभाव .दे। भरत-के केयी
का संवाद दजुमघ्नाटक के अंक पद्य का झजुवाद हू, यही वात
रावण-दजुमान श्रौर झज्मद-रावण के संवादों, पर लागू: होती है।
चणुनाव्मक पद्य अन्थ के सब श्रेष्ठ झंश हैं। उनमें से
. अनेक वड़े दी भांवपूर्ण चमत्कारिक घर -म्रभावशाली चने हूँ ।.
अधिकांश पद्य अलंकार प्रधान हूं उनमें छनेक स्थलों पर कल्पना की:
'.चड़ान दरोंनीय है । ये पंद्य फुटकर पदों के रूप में तो चहुत सन्दरः
इूं,पर प्रवन्ध में ' संव जंगद ठीक से मंद्दीं खपते । कंद्ीं कईी
इनके कारण झनावश्यक विस्तार दो जाता है ओर कहीं-कई्ीं
तो ये दूघ में केकर की तरदद खटकते हूं। -'. ०
म्रबन्व काव्य की दृष्टिसि रामचन्द्रिका को सफल कान्य नददीं
कद्दा जा सकता । पर् इसका .यद्द झभिद्राय . कदापि . नहीं दे कि
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