मानव धर्म सार अर्थात संक्षिप्त मानव धर्म शास्त्र | Manav Dharam Sar Arthat sankshipt manav Dharma Shastra
श्रेणी : धार्मिक / Religious, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.33 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मानवधमंसार । हु
(२४) इच्द्ियाणान्तु सर्वेषां यथेक॑ क्षरतीन्द्रिंयम ॥
तेनास्य क्षरति प्रज्ञा दतेः पात्नादिवोदकम् £६
( २४ ) सब इन्द्रियों मेंसे एक भी इन्द्रिय अपने विपय में लगी
तो जीवकी बुद्धि जाती रहती है जैसे मशक में एक छेद
होने से भी पानी निकल जाता है ॥ &४£ ॥
(२४) वंशे कृत्वेन्द्रियय्रामं संयम्य च मनस्तंथा ॥
एक ३ शा» 9.
सर्वान््संसा धयेदर्धानाश्षिसवन् यो गतस्तनुमु १००
( २४५ ) उपाय से सब इन्द्रियों को और मनकों बश करके जिसमें
शरीर को दुम्ख न दोने पावे ऐसी रीति से सब शर्यो
को सिद्ध करें ॥ १०० ॥
( ९६ ) नाए्टः करयचिद् बूयान्नचान्यायेन एच्छतः ॥
जानन्नपिहि मेधावी जडवर्लोक झाचरेत् ११०
(६ ) बिना पूछे कोई वात किसी को न कइना अन्याय से पूछे
तो भी न कहना जानता हुआ भी चुद्धिमान लोक में
जड़ की नाई रहे ॥ ११० ॥
(२७) शय्यासने 5धप्याचरिते श्रेयसा न समाविशेत् ॥
शय्यासनस्थश्वेवेनं प्रत्युत्यायामिवादयेत् १ १८
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