भारतीय समाज | Bhartiya Samaj

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जगदीश प्रसाद - Jagdish Prasad

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सुधा मिश्रा - Sudha mishraa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय 2 भारतीय समाज की प्रजातीय एव सास्कृतिक रचना (रित्0181 ताप (१110 ता (:ठाए[०0५1॥107 04 दप01ता0 500169) आज जब प्रजाति एव सस्कृति का अध्ययन समाजशास्त्र का महत्त्वपूर्ण एव रोचक भाग है भारतीय समाज का विवेचन यदि प्रजाति और सस्कृति की दृष्टि से नहीं किया जाता तो जो चित्र उपस्थित होगा वह सही व पूर्ण न होगा । भारतीय समाज की प्रजातीय एव सास्कृतिक बनावट विलक्षणता से युक्त है| भारत के विषय मे बहुचर्चित तथ्य यह है कि ऐतिहासिक दृष्टि से भारत अनेक सस्कृतियो तथा प्रजाति-समूहो का घर है। इस कथन की सत्यता की परख इस अध्याय मे करनी है । प्रजातीय विश्लेषण (१२८11 .1121%४515) भारत मे विद्यमान प्रजातियो का विश्लेषण करने के पूर्व प्रजाति की सही धारणा को रपष्ट करना अच्छा रहेगा । प्रजाति की धारणा-साहित्य और समाज विज्ञानो मे प्रजाति २४८८) शब्द का प्रयोग निश्चित अर्थों मे न होने के कारण इस शब्द के अर्थ के विषय मे भ्रान्तियाँ फैली है । इस शब्द का प्रयोग भिन्न-भिन्न अर्थो को प्रगट करने के लिए किया गया है । उदाहरणार्थ मानव प्रजाति को लीजिए | यहाँ प्रजाति शब्द का प्रयोग समस्त मानवता को सूचित करने के लिए किया गया है। इससे सभी लोग सहमत होंगे कि मानवता प्रजाति का पर्यायवाची नही है। यदि प्रजाति से मानवता का बोध होने लगे तो जितने मनुष्य है उन सबको एक प्रजाति का मानता पडेगा। यह निशक होकर कहा जा सकता है कि सभी मनुष्यों की प्रजाति एक नही है । हमारे भारत देश मे कई प्रजाति के लोग रहते है । इसके अतिरिक्त प्रजाति शब्द का प्रयोग कभी फिसी भाषायी-समूह के अर्थ मे कभी राष्ट्र के अर्थ मे और कभी सास्कृतिक दृष्टि से समान गुण धर्मी समूह के अर्थ मे किया गया है। रिजले ने भारत मे प्रजाति तत्त्व का वर्गीकरण करते समय द्रविडियन प्रजाति का उल्लेख किया है। प्रसिद्ध मानवशास्त्री मजूमदार के मतानुसार 'द्रविडियन_ शब्द भाषायी समूह का द्योतक है! । सर आर्थर कीथ राष्ट्र 1 हरि ५. ता पेधदा।' 1 पाए पापा ैतभवा। 15 घर 10 एए159110 भा0पक तप 001 18017 चतापापतंप्ा हि. हिट पाएं (पापा? ए पाता ' ए-48




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