भारत में मूर्ती पूजा | Bharat Men Moorti Pooja

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Bharat Men Moorti Pooja by राजेन्द्र कुमार - Rajendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७. ) इन सबके चारो श्रोर तावे का सुनहला श्रामलक फल है । इसके निकट ही महाबोधि सघाराम का विज्ञाल भवन है जिसे लका के राजा ने बनदाया है । उसको ६ दीवारे तथा तीन खड ऊचे बुज॑ है । -इसके चारों श्रोर ३०-४० फीट ऊ चे परिकोट है । इसमे दित्प की बहुत भारी कला खर्च की गई है । बुद्ध को सोने चादी की मूर्तियां है श्रौर उनमे रत्न जड़े है । वर्पा ऋतु में यहा बौद्धो का बहुत भारी मेना लगता है लाखो मनुष्य आ्राते है ग्रीर दिन रात उत्सव मनाते है । यह नालद विद्वष्द्यालय मे कामरूप के राजा के साथ कुछ दिन रहा था | यहा इसने बडे बड़े दिद्वानो से बातचीत की थी।मुगेर पूर्वी बिहार तथा उत्तरी वगाल मे वीद्धों के सचघाराम श्रौर हिव्दुग्रो के देव मन्दिर दोनों ही समान रूप से विद्यमान थे । यहा से चलकर वह श्रासाम मनीपुर सिलहट आदि पहुंचा जहाँ बहुत से हिन्दू मन्दिर निर्माण हो चुके थे श्र बौद्धो का बहुत कुछ ह्लस हो चुका था । यहाँ उसने एक भी सघाराम नही देखा । वर्तमान मिदनापुर के निकट ता ख्रलिप्त राज्य मे उसने जहाँ तहाँ सघाराम देखे । कं सुवर्ण ( मुशिदाबाद ) में उसने बौद्ध श्रोर हिन्दू दोनो ही पाये उडीसा मे उसने १०० सछाराम और १० हजार शिक्षु देखे थे। पुरी का प्रसिद्ध जगन्नाथ का मन्दिर उस समय तक नहीं वना था । परन्तु हिन्दुग्रों के दस मन्दिर वहाँ बन गये थे । बौद्ध इस स्थान को श्रपनी रक्षा का एक मात्र स्थान समभते थे । पुरी मे आज भी वौद्धो के ढग पर जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली जाती है । कलिंग राज्य में वौद्ध घर्म का प्रचार नही था परन्तु वरार मे हिंदू बौद्ध दोनो ही समान थे । यही पर प्रसिद्ध सिद्ध नागाजु न रहता था । श्राँघ्र




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