शायरी के नये दौर भाग -1 | Shayari Ki Naiya Dore Part -i

Shayari Ki Naiya Dore Part -i by लक्ष्मीचन्द्र जैन - Laxmichandra jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४३, दसं-जुरअत ४. रुज़र जा . चूढ़े नोजवान टू पु 2 नि श्र भ६. कार्र-मदा ५७. हिम्मत मु | सुरूदा खराश डे सोन्द्य और प्रेम . तसवीरे-जमाल . मुर्रियाँ ऐ. जानंमन ! £ «न 2६ शक (हे रा क . मददसूसात फिर्नः-ए-खानक़ाद ५४, हविस-औओ-इश्क्र ८ ही हू 1 नौ थी ४. अगर क़दम न सुहब्चतका दरमियाँ होता ५६. नकशे-खयाल टिलसे मिटाया नहीं दनूज़ ५७. “७ ४० ५४८. तर लए ५६, तसवीर दो ८ सनी जन्नत - तआककुव २, याद हैं द्रय तक ६६, द्रदाए:-सलम ६४. यार परी चेहरा ६५, पाॉँदके इन्तिज़ारमें तारे दी ्ह डी डुपट्टेको मसले, चदन को चुरा ये दफ़ा-दिकायत शव सुम्बुल-आ-सलासल सुरूदा-खराश सेफ़ा-सुचू टुफ़ोां-दिकायत 22 सेफ़ो-सुबू दफ़ों-डिकायत सेफ़ो-सुवू टफ़ो-हिकायत र्शो-फ़श शत समूमो-सच्रा द्र्शो-फ़श सेफ़ो-सुबू 3 ते व शत री «६६ है. 1 60. (. ,£ी चर न ब्त्च्यौ नो ९ / व का 5 जद हर ९00 हट ६ हरे दे तु नर 3 लि बची नत्ऋ न न १1 0 तर (५ २१४६




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