गाँधी वध की परीक्षा | Gandhi Vadh Ki Pariksha
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.97 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गांधीवाद
“'गांधीवाद नाम की कोई वस्तु है ही नहीं, न में अपने पीछे कोई
सम्प्रदाय छोड जाना चाहता हैँ। मेरा यह दावा भी नहीं कि मैंने
किसी नये तत्त्व या सिद्धान्त का झाविष्कार किया है । मैंने तो सिफ॑
जो शाश्वत सत्य हैं, उनको 'झपने नित्य के जीवन श्रौर प्रतिदिन के
प्रश्नों पर श्पने ढंग से उतारने का प्रयासमात्र किया है । सुझे दुनियां
को कोडे ने चीज़ नहीं सिखानी है । सत्य और घ्रट्टिंसा झनादि काल
से चले श्राये हैं * ** ” » इसी सत्य घर झ्रहिसा को चरितार्थ करना
मद्दात्मा गांधी श्र उनके भअनुयाइयों की सस्थाओं का आदर्श और
उद्देश्य है । इस विषय सें महात्मा गांधी आगे कहते हैं:--
“ऊपर जो कुछ मैंने कहा है, उसमें मेरा सारा तत्व ज्ञान--यदि
मेरे विचारों को इतना बढा नाम दिया जा सकता है, तो--समा जाता
है। श्राप उसे गांधीवाद न कहिये, क्योंकि उससें वाद जैसी कोई
बात नहीं है ।” +»
महद्दात्मा गांधी के शब्दों से ही यदि गांधीवाद को समकना हो तो
सत्य श्रौर हिंसा की साधना ही मनुप्य का उद्देश्य है । गांधीवाद का
मत है, व्यक्तिगत रूप से सत्य और अर्दिसा की साधना से मनुष्य
घ्याध्यात्मिक उन्नति कर व्यक्तिगत पूर्णता प्राप्त करता है और सामूद्िक
« अपने कार्य-क्रम के सम्बन्ध में मद्दात्मा गाधी के विचार,
'हरिजन बच २६-३-१६३६ ।”
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