हक़ से गुलाम | Hak Se Gulam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.07 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७ )
थी मेरी--और इसीछिये में यहाँ नही आया । टेक इट फार ग्राण्टेड
देट भाई एम नाट हियर ।
फेरोपत--उन्हें सदगति मिली । अब हम उनका वसीयतनामा देखे । इस
लिफाफे को खोलते समय मेरा हाथ कॉाँपने लगता है। अज्ञात विधि-
लेख की तरह यह लेख किस के भाग्य पर क्या कया परिणाम करेगा,
इसे कोई नहीं कह सकता ।
बेकुठराव--क्या वकील भी नहीं * लगता है भाप के सहारे आप ने
सीलें नही खोली *
केरोपत--गुनाह के तरीके वदमाद गुनहगारों को ही सुझ सकते है।
बेकुठराव--अथवा उन गुनहगारो के इज्जतदार वकीलों को सूझ
सकते हैं ।
केरोपत--आागे सुनिये । यह छिफाफा***
वेकुठराव--जिसे पहले खोलकर देख लिया था *
केरोपत--मे अब खोलता हूँ । पहले वावासाहव ने यह सम्पत्ति कंसे
प्राप्त की, इसका वर्णन है । उसे दोहराने की जरूरत नहीं । अब उनके
फेंसले का ब्योरा सुनिये 1--[पढकर देखता है 1]
वेकुठराव--कान्होवा, मूँह से लार न टपकाना । वसीयतनामे में अगर
नाम न निकला तो मुंह की लार गायव होकर गला सुख जायेगा !
मुह सफेद होने का मौका है यह, समझे *
केरोपत--पढ़ने लगता है ।]--“'मेरा वडा लड़का सदानद सात साल
पहले मुझ से लडकर चला गया । उसका अभी तक _कोई पता नहीं 1
मे अकारण ही उस पर नाराज हुआ । अब मैं पछता रहा हें । इसलिये
नीचे लिखी हुई मेरी स्वसपादित सारी जायदाद मै उसे देता हूँ । यदि
वह जीवित न हो, तो यह जायदाद उसके लड़के को दी जावे । अगर
उसका लड़का न हो तो उसकी पत्नी को दी जावे । इनमें से यदि
कोई नहों तो ?***
बंकुठराव--बडे कुशल अभिनेता हो, वकील साहव ! कितना यथांथे
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