निबंध मंजरी | Nibandh Manjari
श्रेणी : निबंध / Essay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.8 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरसदियसययय्यर
भूमिका १७
रही हैं। इस प्रकार श्रालोचना की दृष्टि से भी नवीन-काल विशेष
महत्व का काल दै । झालोचना के सभी क्षेत्रों की वैज्ञानिक ढंग पर
छान बीन इसी काल में होने लगी है श्रौर उसके झंग-प्रत्यंग वर श्रम्त-
बाद सभी पर विशेष प्रकाश डाला जा रहा है। नित्य नये विद्वान् इस
सत्र में श्राते जा रदे हें । लेखकगण श्रपने उत्तरदायित्व को भी समसकने
लगे हैं घर श्रध्ययनपूण सत्समालोचना का माग' प्रशस्त होता जा
रहा है । इससे यदद थाशा दृढ़ होती जा रही है कि दमारे समालोचना-
साहित्य का भविष्य श्र भी उज्ज्वल होगा ।
प्रस्तुत संग्रह में हिन्दी के प्रतिनिधि-झालोचकों की कृतियों में से
ऐसे निधन्धों का संकलन किया गया है जो भाषा की शुद्धता, विपय
एवं प्रचलित शैलियों की विविधता का दिग्दशन कराने के ध्रतिरिक्त
विद्यार्थियों के लिए ज्ञानोपार्जन की भी उपयुक्त सामग्री प्रस्तुत करते
हैं । स्थानाभाव के कारण श्रनेक प्रतिप्ठित लेखकों की रचनाओ्रों को
इच्छा होने पर सी हम संकलित नहीं कर सके हें । इतने पर भी दिन्दी
श्रालोचना के क्रसिक विकास तथा सिनन-सिनन रूपों के यथेष्ट प्रत्यरी-
करण का प्रयास किया गया है । यदि यह संकलन विद्यार्थियों के लिए
श्ालोचना के शुद्ध स्वरूप का परिचय देने और काव्य-समी क्षा की प्रेरणा
पेदा करने में उपयोगी सिद्ध दो सका तो संकलयिता को हार्दिक
प्रसन्नता होगी । श्रन्त में इम उन चिद्ठानू लेखकों के प्रति हार्दिक
कृतज्ञता प्रटट करते हैं जिनकी रचनाओं का उपयोग इस संग्रद्द में
किया गया है धर दिवंगत लेखकों के प्रति दिनीत श्रद्धान्जलि श्रर्पित
करते हुए उनके मान्य उत्तराधिकारियों को हार्दिक घम्यवाद देते हूं
तथा इस दुःसाइस के लिए क्षमा चाहते हें ।
रामलाल
चर
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