टाल्स्टाय | Talstay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रारश्टाय लेखक स्टिफेस उवीग टाल्स्टायके वाद उसके. राष्ट्रके दूसरे सबसे मद्दान रूसी लेखक तुर्गनेवने २७ जुनाई रै८८३ को भरने मित्र टाल्स्टायके नाम यासनाया-पोछीन।में एक दा ही पुरजसर पत्र भेजा था । दई बरसों से बढ़ी बेचैनीके साथ बह इस घात पर गौर कर रहा था कि टाल्स्टाय, जिसका बह अपनी जातिके सबसे बढ़े लेखक रुपमें घ्रादर करता था, सादिखयसे हटकर अपनेको एक. धार्मिक नैतिकता खोगेदे रद है । प्रकृति शऔर मनुष्यके चित्रणमें जिसकी सफलता अद्वितीय मानी जाती थी, उस व्यक्तिकी टेवल पर श्ाज धमेग्न्थों श्र घाइविलके सित्रा और कुछ भी नहीं रह गया था। तुगेनेवके मनमें यद भय पेंदा द्वोगया था कि गॉगलकी तरह टाल्स्टाय सी अपनी परिपक्व सजक प्रतिभा के ये निर्णायन बरस. धार्मिक चिन्तनमें चर्वाद न कर दे, जो कि श्ाजक़ी दुनियाके लिए निरपक है । इसलिए शपनी श्राखरी यीमारीके दिनोंमें वद अपनी कलम पकड़ने दौड़ा--कहेंकि पेन्सिल, क्योंकि ब्रालम पकड़ने में उसका रूमसोर हाथ शव असमर्थ हो गया था--शऔर उसने अपने युगकी सबसे मदन सावभौम प्रतिभाकि नाम एक दिल हिला देनेवाला प्रार्थना-पत्र लिखा । रे लिसा कि “यद एक मरते हुए घादमीकी अम्तिम श्ौर द्ार्दिक विनती है: सादित्यमें लौट ब्यश्नो ! वही नुम्दारी सच्ची देन है।--श्रो




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