स्वास्थ्य और जल चिकित्सा | Swasthya Aur Jal-chikitsa

Swasthya Aur Jal-chikitsa by केदारनाथ गुप्त - Kedarnath Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श४ विषय पृष्ठ शिर का रोग सेत्र का रोग रुघिर न्यूनदा बेसैनी पाँव की नसों का लिच चाना साधारण बल हीनता साँस लेने में पीढ़ा ््प गठिया की पीड़ा श्०£. उतर पीड़ा छुना न लगना. चक्कर आना दस को होष फेफरे का दोष मिर्लता २९० आपमाशय और ातों की पुरानी लगन स्तामु की स्वराबो स्मरण शक्ति में मिश्र गता रे सर्गह् बल दोनता मूत्र का न लगना २११ गरठिपा का दर श्१५ चेर की सरादी प्रर पासन शक्ति की स्थराधी ६ मिर्गी २१४ अति शिर पीढ़ा रद दमा साँम अदासीर कंठ की घलन २८४ गठिया फूले हुए पाँव श१४ सँग छोटी दो लाने के कारण पूरा लेंगड़ापन फुल का कठिन रोग इर समय उदास रहने का पागलपन २१४. गठिया कब्ड बवासीर टाइफस गर्भाशय का टल्ष थाना काली लगी रफ्त स्तर २१६ मूत्राशय में रेत का रोग श्र सर्बाज्ञ निषमता नेत्र का रोग झामाशय का रोग १७ पायन शक्ति के दोष मिद्ठा का न भझाना श्श्घ सदैव गबष्ज बवासोर शिगर का बढ़ जाना ग्श्प दाँत पीड़ा शिर पोड़ा घव्ाइट नींद का ने आाना आगाज का देठ आाना म्१्ध




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