जातक खंड 3 | Jatak khand 3

Jatak khand 3  by भदन्त आनन्द कौसल्यायन - Bhadant Anand Kausalyayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भदंत आनंद कौसल्यायन -Bhadant Aanand Kausalyayan

Add Infomation AboutBhadant Aanand Kausalyayan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १७ ) विषध ः पष्ठ भोगो का निमन्त्रण दिया । भिक्षु ने बिना काम-भोगो को भोगे भिक्षु बनने का कारण बताया ।) १६८. सकुणग्घि जातक २३० (बटेर ने अपने गोचर स्थान पर रह कर बाज की भी जान ले ली।) १६९ अरक जातक के ः ««. रेदेडे (सैत्री भावना का महात्म्य ।) १७०. ककण्टक जातक भ २३५ (यह कथा महाउम्मग जातक (५४६) में है। ) ३3. कल्याणधम्स वर्ग २३६ १७१ कल्याणघम्म जातक कर +.. नेदे (प्रब्जित न होने पर भी घर के मालिक को प्रब्नजित हुआ समझ सभी रोने पीठने लगे । घर के मालिक को पता लगा तो वह सचमुच प्रब्रजित हो गया ।) १७२ दहर जातक २३९ (नीच सियार का चिल्लाना सुन लज्जावश सिह चुप हो गए।) १७३ मर्वकट जातक न (बन्दर तपस्वी का भेष बनाकर आया था । बोधिसत्त्व ने उसे भगा दिया । ) १७४. दुब्बभियमकक्‍्कट जातक ««.. रे (तपस्वी ने बन्दर को पानी पिलाया । बन्दर अपने उपकारी पर पाखाना करके गया 1) नर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now