महाभारत [प्रथम भाग] | Mahabharat [Pratham Bhag]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.84 MB
कुल पष्ठ :
398
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५ )
चिषय पूछ
को पाचक,मजुन को फन्या-
सो फे नाच जादि खिसखखलाने
पर लगाना, नकल ष्छो घोड़ों
के पालने, सद्ददेव को गोभों
फ पालक पर ऊगाना,द्ो पदी
प्ता खैटन्घी वेष से सुदेष्णा
से घर में निवास ५७४
भीस का सेल में सद्दाभल् को
प़ाडना कस
प्टीचफ पी द्ोपदी पर भासक्ति,
ढपदी को फुसलाना,द्ोपदी
फा उसे रोकना, प्यिका फी
खुद्देप्णा झ्ारा छ्लोपदी को
ते घ्य्त की प्राथना, खुद
च्णा का द्रोपदी फो शोज्य
पदार्थ देने के लिए कीलक
च्ते घर सेज्ना ८४
के ४. ये कद अ
घीषवक की ट्रोपदा से प्रम को
याचना, छ्लौपदी का भाग
कर स्तीत्व बचाना; फीसक
ष्हा छीपदी को लात घागला,
कीचक को मारने चाहते
भीम को सुधिट्िर का संकेत
डारा रोफना, छ्लोपदी की
जुफ्ार, युचिछर टी ढोपदी
को खान्त्वना पूट्द
ब्ीचकफ को सश्वासा चाइती
दोपदी की रातको भीम से
विषय फ्क
मन्त्रणा, तदजुसार दूसरे
दिल द्रीपदी का कीजक को
रात फे समय नतेन शाला में
साने का चचन देना, ५९.१
मीम का छीचक के माने खे पहले
दी नतेन घाला में जा छेटना,
पीछे जाए फीचक का द्रोपदी
जुद्धि से सीम को छूना, शीस
का नियुद्ध से फीचक को
सारना पद
फीच् दघ प्ही चरसमान कथा
पर विचार. ००
' पाण्डवों के हूँढन के लिए भेज
हुए शुप्त 'चरों प्हा दृस्तिना-
पुर ठौटछर दुर्योधन को प्रति
पाण्ड्वो का पता न छगने
का सौर कीचक के बंध का
निवेदन, शीचफ फा नघ
खुन कर चिगतेराज दुर्योधन
फो विराट राज की गोप॑
उीनने दी प्रेरणा, फोरवों
पी विराटपर चढ़ाई ६०९
ज्रिगतराज का विराट के दक्षिण
में पहुंच कर गो का दरना,
गोपी का विशाट को आकर
निवेदन स्रना, विराटराज
पी युद्ध पर चढ़ाई; युच्िष्ट
दाहि चारों साइयों कर
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