तैत्तिरीय उपनिषद | Taittiriya Upanishad

Taittiriya Upanishad by वेदव्यास - Vedvyas

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Ved Vyas was a great and known poet during time of Mahabharat. He was the son of Satyawati and also was a step son of King Shantanu of Hastinapur. He wrote the book Mahabharata in which he told about the great war which happened almost 5000 years ago from now. He was also the writer of Shiva Purana and Vishnu Purana which were very important books in Hinduism. He was given the degree of Ved Vyasa.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वैततिरोय उपनिपद् 1 श्ष्नू शो इन्द चेदों में श्रेप्ठ दै सारे रूपों चाला है चहद चेदों से सम्त से प्रकट हुआ दै। चह इन्द सुंझे मेघा से बलवान यनाए । ने देव | में अस्त (न्वेदार्थशान ) को घारने घाला छोऊ ॥ * ” मेरा धार्यीर योग्य हो । मेरी वाणी घड़ो मीठी दो । मैं य्ानों से ' चहुत खुनं॑( सुच्चे आांचाय्यों से चहुत छुछ उपदेश मिले ) । तू मेंघा से ढपा हुआ, ब्रह्म का कोश '( मियान ) है, रे शर्त ( माचायों से सुनें हुए ) की रक्षा कर! *तव मुझे चह श्री ( खुशी ) ला दे, जो. पशुभों से शोमों घाली दो, ( रोमों घाछें पंशु मेरे पास,दों ) और जो हर पफ समय 'मेरे लिप चर और गौभों को; अन्न जौर पान फो लाने चालीं फैछाने वाली भौर घिंना देर से अपना घनाने चाली (खुशी बे यप में घदलने चाली ) हो, स्वाद ! श्रह्मचारी ( वेद के विद्यार्थी ) मेरे पास आएं, स्वाद्या ! घह्मचारो सब तफ से मेरे पास भाप, स्वाद ! श्रह्मचारी प्रयल्न से मेरे पास भाएं स्वाद्दा'! सिचधे छुप ( अपने साप को यश में रखने वाले ) घाह्म- सवारी मेंरे पास आप, स्वाहा ! शान्त घह्मदारी मेरे पास भाप स्वादा ! मचुप्यों में में यशरूप हो जाऊं, स्ताद्दा ! मैं बड़े अमोर से शेष हो जाऊं, स्तादा ! मैं दे मगवन ! उस तुम में घ्रचिप्ट होऊं स्वाद्दा । तू हे सगवन_! सुक में प्रविप्ट हो, स्वाद्ा ! हे भगवन ! - उस लुक में डजिस को सदस्वों शाख़ाएं ( शवलरूप ) है, में अपने भांप को शोधन फरता हू, स्वाद्दा ! जैसे. जल निचाई को आर भागते, हैं, जैसे महीने थरस में, जा मिलते, हैं, इस प्रकार: जे थातः 1 ( पैदा करने घाज़े ) श्रह्मल्लारी, सच भोर से मेरे पास ,




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