जीवन - मरण - रहस्य | Jivan Maran Rahasya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : जीवन - मरण - रहस्य  - Jivan Maran Rahasya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ठाकुर प्रसिद्धनारायण सिंह - Thakur Prasidh Narayan Singh

Add Infomation AboutThakur Prasidh Narayan Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
शरीर की भीतरी क्रियाएँ और उनके उद्देश १७ शरीर के श्रत्येक भाग से निकम्मे झंशो को इकट्ठा कर लाती है और फेफड़े, इ द्रियो और त्वचा के छिट्रो द्वारा मल-ख्प मे निकाल देती है। आँख, कान, नाक 'और सुँह से भीतरी सेल निकला करती है । वैसे ही पसीना और देह-बाष्प द्वारा भी त्वचा के छ्विद्रो से मेल निकला करता है। (३) श्वसन-क्रिया-इससे चादर की शुद्ध हवा भीतर फेफड़ों सें जाती है । वहाँ अपने ऑक्सीजन को रूधिर के हवाले कर देती है, श्मौर रुधिर के मल को छाप लेकर निःश्वास द्वारा चाहर निकल आती है । हुवा का छॉक्सीजन रुधिर के साथ सारे शरीर मे भ्रमण करता है, गौर जहाँ श्ञावश्यकता दोती दैं, वहाँ काम से लग जाता है । इसी ऑक्सीजन के साथ घ्धिकांश प्राण शरीर मे प्रदेश करता और संचालित होता है। इसीसे श्वास द्वारा प्राणायाम करके योगी लोग झपने शरीर में प्राण संचय करते हे | यही प्राण शरीर के प्रत्येक 'अंगो से शक्ति का. काम देता है । ड (४) चेदन और कमे-संचालन-किया--यहद नाढ़ी-तंतुआओ द्वारा होती है, जैसा कि ऊपर कह आए है। शरीर के भीतर जितनी क्रियाएँ द्ोतो हैं, सबकी प्रेरक यद्दी क्रिया है। जसे किसी कारखाने मे जाकर देखिए, जहाँ ए जिन द्वारा मशीनें अर्थात्‌ कलें 'चलती हो, तो वद्दों आप पावेंगे कि ए जिन से शक्ति निकालकर 'झनेक यंत्रो में पहुँचाई जाती है, और उन यंत्रो से झानेक काम हुआ करते हैं । वेसे ही इस वेदन और क्मं-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now