सफल जीवन | Safal Jeevan

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Safal Jeevan by पं राजाराम प्रोफ़ेसर - Pt. Rajaram Profesar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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च््न भमका ३१ मनुष्प पक्का इरादा कर लेता है, तो ब्रह्म को अवदय- मेत्र साप्ञाव करलेता है। माधवराय पेशावा ने मरते समय कहा, कि 'गेरी तीन इंच्छाएं मन ही में रह गई”-एक सो में गगिठज़ई जाति के छोगों को परास्त करना -चाइता था, दूसरे घुलतान देदर अली को नीचा दिखाना चाइता था, और तीसरी बात यह है, एके में अपना ऋण छुकाना चाहता था” नानाफड़- नवीस जहां पर विधमान थे, उन्होंने यह छुनकर मतिज्ञा की, कि “इन तीनों बातों को में पूरा करूंगा” और उन्होंने तीनों घातें पूरी कर दिखाई । बीरवर हुम्मीर ने बचपन में जब यह दृढ़ संकल्प घार लिया कि “मैं चिच्ौद का उद्धार करूंगा ” उस समय उप्त के पाप्त न घन था, न सेना थी, न राज्य था, तो भी उसने ऐसा बढ़ा काम पूरा कर दी दिखाया । उर्पानिपद्‌ में कहा है,-“पुरुष अपने सैकटपों का बना हुआ है ” संकल्प में ऐसी धाक्ति है, कि दप्तके द्वारा तुम जो बनना चाहो, बन सकते दो, और नो कुछ करना चाही, कर सकतें दो । सो तुम अपने मन नं




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