वर्णाश्रम धर्म और समाजवाद | Varnashram Dharm Aur Samajvad

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Book Image : वर्णाश्रम धर्म और समाजवाद  - Varnashram Dharm Aur Samajvad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(2 था स्वामी हो सकता है । इनसे पदार्थ उत्पन्न होते हैं पर उसके लिए जुलाहे या दर्जी को 'दपने हाथों से श्रम बरना पडता हैं दूसरे दे दाथों से नहीं । श्रमहीन लोगों के पास श्यपार धन न रहने से समाज का राज्य झपरिमित घन का स्यामी हो लायगा 1 फिर वह सब लोगें। के लिए जीविका, निवास, चिकित्सा; शिक्षा '्मादि का उत्तम प्रवन्ध कर सकेगा । सब को शिक्षा प्राप्त करने वा व्भचसर होगा । सम झपने ज्ञान '्औौर सामध्य के अनुसार काम परेंगे । काम दंढने के लिए श्ाजफ्ल के लेगों के समान भटकना नहीं होगा। राज्य काम देगा । समाज के शासन में पूजीपतियों का उन्मत्त विलास शोर भूस। का हाहयाकार ने होगा | लदमी 'और सरस्यती का देर से चला ता विरोध मिट जायगा | वब्याजकल प्राकृतिक विज्ञान थी अत्यन्त उन्नति हुई है | रेल दौर विमानों से कु ही काल में यहुत दूर पहुँच जाते हें । कृषि विज्ञाने से पहले की श्रपेक्षा 'छधिक उपज हो सकती है । छनित रोगों की सुगमता से चिकित्सा की जा सकती है । यर्यों के द्वारा चख्र बर्तन आदि की उत्पत्ति विशाल परिमाण में होती है । प्रत्येक प्रकार के सुख साधनों के होने पर भी करोड़ों को भर पेट अन्न नहीं मिलता । सर्दी गर्मी में नगा रहना पडता है, श्रौप घियों के भरडार भरे रहते हें '्योर लाखें। लोग बिना दयाई के मर जाते हें। भूखे अनाश्रित भारी सरया में रात को सोने के लिए टूटी कुटिया नहीं पा सकते और सडकों के दोनों श्योर वा खुली भरूमि पर '्याकाश के नीचे पड़ जाते हैं । यान के अआपि प्कारों से लाभ समाज के राज्य में सपको मिलेगा । मूख्े




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