राजस्थानी लोक - कथाएं | Rajasthani Lok Kathayen
श्रेणी : दंतकथा , किस्सा / Fable, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.23 MB
कुल पष्ठ :
273
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गोविन्द अग्रवाल - Govind Agarwal
No Information available about गोविन्द अग्रवाल - Govind Agarwal
वृन्दावनलाल वर्मा -Vrindavanlal Varma
No Information available about वृन्दावनलाल वर्मा -Vrindavanlal Varma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजस्यानी उोक-कथाएँ -तने हुई और वह गहरे सोच में पड गया और बोला कि तु मुझे वता कि मैं गडू या वलू रे हिस्दुओं को मृत्यु के वाद जलाया जाता है और मुसलमानों को जमीन में गाडा जाता है लेकिन मैं न हिन्दू रहा और न मुसखमान । ७ सीलो सो पाणी ल््याओ एक ठाकुर का बुद्ापे में विवाह हुआ । विवाह्द में जव ससुराल वालों नने कहा कि कुअरसाहुब अमुक काम ऐसे कोजिए तो ठाकुर बोला कि धन्य हो घरती माता अमी तो हम कुंअरसाहव ही कहलाते है । जाडे ने दिन थे ागुर ने ससुराल यी स्त्रियो पर रोब जमाते हुए कहा कि एक ठण्डे पानी पका गिलास लाओ तो स्त्रियों नें आयनये किया ओर कहा कि कुअरसाहब रो अमी बिल्कुल नौजवान ही हैं ठाकुर ने एक गिलास ठढे पानी का न्पो तो लिया लेकिन उसके दाँत धजने लगे । लेकिन अपनी कमजोरी को छिपाते हुए उन्होने कु देर वाद ठढे पानी का एक गिलास और मंगवाया और से भी किसी तरह पी गए । नतीजा सह हुआ कि ठाकुर साहब स्का शरीर जुड़ गया और वे सदैव के छिए ठण्डे हो गए । के गाँव की भुवा थाँव के ठागुर की एवं बह्चित थी जो याजवियवा थी । यह बड़ी श्गडालू थी कौर अपने माई के घर ही रहा कत्ती थी । सबेरे हो न गाँव वो स्तरिया से झगड़ा करने के छिए निकल जाती और निरंतर कलह चर्बे शाम वो घर आ जाती । गाँव के लोग उमके वारण बड़े तग थे । र्एव दित सबने मिलकर ठारुर से प्राथना को कि किसी तर बूआजी कौ न्होगा जाए । ठाकुर ने कहा दि मैं स्वय इसमे मारे बहुत हैरान हूँ लेक्नि कई उपाय नहीं सुझता 1 आखिर सबने एक योजना बनाई वि यूआजी सनित्य बारी-वारी से एवनएय घर में जाया करें और यही पल वर लिया चरें । गाँव से तीन सौ साठ धर थे अत प्रत्येव घर की बारी एव वर्ष मे आने लगी और गाँव के लोगो को राहत मिलो। एवं दिन जिस जाट
User Reviews
No Reviews | Add Yours...