दासबोध | Daasbodh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
118.05 MB
कुल पष्ठ :
502
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma
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स्वामी रामदास जी - Swami Ramdas Ji
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( हे )
शिष्योंने श्री समर्थका ध्यान इस भोर झ्ाकृष्ट किया, तब उन्होंने कहा कि कोई
हर्जकी बात नहीं है । तुरन्त ही उन्होंने मराठीमें कुछ श्ठोक बनाये और अपने
कुछ शिष्योंको देकर कहा कि यही श्ठोक पढ़ते हुए जाओ और मिक्षा माँग लाथों ।
उस दिन थोड़े ही समयमें उन शिष्योंको सिद्चामें इतना अधुक अन्न मिला जो
_ हजारों आादमियोंके लिए भी यथेष्ट था । उस समय शिवाजीने अपने मनमें समझा
कि बहुत बढ़े राजाकी दाक्तिकी अपेक्षा भी श्री समथकी वाणीमें कहीं अधिक .
सामथ्य है । मद्दाराट्र प्रदेशमें वे श्ठोक बहुत अधिक प्रसिद्ध है भौर भब्र तक
सैकड़ों हजारों भिक्षुक वहीं श्ढोक पढ़ते हुए मिन्षा माँगने निकलते हैं श्र
श्रद्धालु तथा भावुक गृददस्थ प्रायः उन्हें यथेष्ट मिक्षा देते हैं ।
रचनाएं
श्री समथ केवल बहुत बड़े मददात्सा कौर साघु दी नहीं थे, बल्कि बहुत बड़े
विद्वान, कवि, राजनीतिज्ञ और अनुभवी सी थे । श्री समधंको कितने अधिक
विषयोंका श्रौर कितना मधिक ज्ञान था, इसका परिचय पाठकोंको इस दासबोघ-
के पढ़नेसे ही मिल जायगा । कहा जाता है कि यह ग्रन्थ उन्होंने शिवाजी सददा-
_ राजके लिए बनाया था; पर यदि विचारपूज्नंक देखा जाय तो यह सारे संतारके
_ लिए परम उपयोगी तथा कल्याणकारी है । यदि विष्योकि विचारसे देखा जाय तो.
हम कह सकते हैं कि यह एक प्रकारका विश्वकोष ही हे । यद्यपि यह प्रंथ झुख्यत
अध्यात्म-सम्बन्धी है, पर इसमें परकोक साधनके साथ साथ इदलो कक़े . साधन
के भी बहुतसे अच्छे अच्छे उपाय बतलाये गये हैं । मनुष्यकों इस संसार में
आकर किस प्रकार रहना चादिए |शौर अपने आचार-विचार तथा व्यवहार आदि
कैसे रखने चाहिएँ, इसका इस म्न्थमें बहुत अच्छा दिग्द्शन कराया गया है ।
इसका विषय-क्षेत्र बहुत दी विस्तृत है, जैसा कि इसकी विषय-सूची देख नेसे पता
चल सकता है । सब प्रकारकी स्तुतियों, परीक्षाओं, भक्तियों, छच्चणों और गुर्णों है.
जे
निरूपणके सिवा इसमें यहाँ तक बतलाया गया है किं «मनुष्योंको केने पढ़ना और
केसे लिखना चाहिए; श्र निद्ाके समय साधारणतः मनुष्योंकी कया क्या अवस्थाएँ
दोती हैं । श्री समथका विषय-ज्ञान तो अगाध-सा जान पढ़ता है । जिस विषयको
उठाते हैं, उसे पराका्ा तक पहुँचाकर छोड़ते हैं । एक ही वस्तु अथवा वगेके नामों -
या विभागोंका जब कहीं कोई प्रकरण र | आता गे है, तो. पढ़नेवाछा मंत्र-मुग्ध और
री
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