आर्य्य भटीयम | Arya Bhatiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका १९ सलकाल की यिचित्र महिमा है! घनन्त काल, छनादि देय को गप्रास करने के लिये उद्धत है । धनादि, देव घाज भारत में कुषित माय से पू्णित होते हूं। जदराग न होने से शीघ्र पूणा लोप होगी । भारत के थिप्र कुल सदा- शप साधयित्त यह रुपक करपनां करके भी शाण सनावन श्ाय्पतसाज के निकट दायी हैं । हम जातीय शण विमोचमायें छाज हम श्रीकृष्य-सीला के दस्य भेद फरने में कृत संकल्प हुए हैं 1 फाल्युन की श्मावारपा सी सायट्राल में एफ वार गोलफ ( 'ाकाण की शोर ) सन्द्शन फरो । तय देडोगे कि शाद्यतन श्रीकृष्ण लीला गोलफ में 'नइवर ्त्तरों में झद्धित दो रदी है । तुम लोग श्पने मस्तक की शोर ( 'ाकाश में ) तारक मप |धनुपाकृति जो ननत्र देखते हो उस का नास पुनवंसु” है । इस यमु नक्तत्र या वसुदेव की यीद में # यह देवकी [विरा- जमान हि । इस वच् नक्षत्र के दृतीय पदान्त में जो दिन्दु देखते हो इस विल्टु | का नाम प्कफेट फ्रान्ति' है । पद चिन्दु उचरायदा की घरस मोसा पर श् | खस्थित हि । इस बिन्दु के सपर्ण करने पर गूययंदेय की झयन गति शेप दोती । दै । '्ौर इस पर नये ब्प के “दालाके ” फा उदय ( जन्म ) दोता है । यद _ विन्दु थाल (नपे साल का सूर्य) बाल कृपया के शनन (वद्य) स्यान है । कर ८ रंपना नद्दीं समको नव दु्ों दूलश्याम (९) तुम्दारे सामने ज्ञाश्यल्पमान दो रहा है 'श्रोकृष्ठ रेखा में शिवम पल खाया तल (२) नेद्चिणा घुल में यात्रा कियो - । सम्मुख में कर्केंट सिंद कन्या तुला यश्चिक घर घनु राशि । श्रीकृष्ण यमुना । (३) पतिक्रमण कर प्रपमतः झप्रसर हुए । सम्मुख में ककूंट राशिस्य तीन सा- रात्मक याद के पाकार का पुष्य नक्प्र पश्विगाभिमुख विराशमान है । आकृष्ण पुष्प संक्रमण के पीछे कर्कंट राशिस्य ट्रद से करतिय (४) कालोय सपे का भस्तक पट्लारकमसप चब्ाकृति सौर इसको आाइ्लेपा नदाव कदतेहैं। मी ही कस फी पधिष्ठाद दूदता 'फणी” छं धर ्य कि झ ि ध् मं श्रीकृष्ण ने झाइलपा में पर रयकर काली प सपे को दूसन किया । सम्मुख का + पुनदसु लठद की इटयट्ाज' देवता ढवसाता झा द ते द उतर ब्यतिज सबस्थदा । करयपों बस्वरंवरय अब्देन्एन 2 कदुप्य जन्मम्वदें । अदितिरेंका हम $ इति इत्प दो । सेबदा लडज सें सिंध लय पे ते बदन रच बय नाम अति ना देवी बडितं । (९00 1500 81१४ भवन सिर नमद इवेंट गएव्वे ये लारयरे में गदते इच्दयार लरवरसये नरम दर ।.. शो प्श्पैरन देनद द न मर्ज दिप्दुर पैर ऐनद धतदुर्न झथपस ये बर दें पे बे य दू स्मूदा कक नि मरते (3 ] वह चड़ सक,०« प्लीफाएघ कर एजोड पड फर फि रिकरर० 1 ७4१ डी 15 तेज (०.५1: फल स्म्ग्ग्द व




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