आर्य्य भटीयम | Arya Bhatiya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.7 MB
कुल पष्ठ :
141
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका १९
सलकाल की यिचित्र महिमा है! घनन्त काल, छनादि देय को गप्रास करने
के लिये उद्धत है । धनादि, देव घाज भारत में कुषित माय से पू्णित होते
हूं। जदराग न होने से शीघ्र पूणा लोप होगी । भारत के थिप्र कुल सदा-
शप साधयित्त यह रुपक करपनां करके भी शाण सनावन श्ाय्पतसाज के
निकट दायी हैं । हम जातीय शण विमोचमायें छाज हम श्रीकृष्य-सीला के
दस्य भेद फरने में कृत संकल्प हुए हैं 1
फाल्युन की श्मावारपा सी सायट्राल में एफ वार गोलफ ( 'ाकाण की
शोर ) सन्द्शन फरो । तय देडोगे कि शाद्यतन श्रीकृष्ण लीला गोलफ में
'नइवर ्त्तरों में झद्धित दो रदी है । तुम लोग श्पने मस्तक की शोर
( 'ाकाश में ) तारक मप |धनुपाकृति जो ननत्र देखते हो उस का नास
पुनवंसु” है । इस यमु नक्तत्र या वसुदेव की यीद में # यह देवकी [विरा-
जमान हि । इस वच् नक्षत्र के दृतीय पदान्त में जो दिन्दु देखते हो इस विल्टु
| का नाम प्कफेट फ्रान्ति' है । पद चिन्दु उचरायदा की घरस मोसा पर श्
| खस्थित हि । इस बिन्दु के सपर्ण करने पर गूययंदेय की झयन गति शेप दोती
। दै । '्ौर इस पर नये ब्प के “दालाके ” फा उदय ( जन्म ) दोता है । यद
_ विन्दु थाल (नपे साल का सूर्य) बाल कृपया के शनन (वद्य) स्यान है । कर
८ रंपना नद्दीं समको नव दु्ों दूलश्याम (९) तुम्दारे सामने ज्ञाश्यल्पमान दो रहा
है 'श्रोकृष्ठ रेखा में शिवम पल खाया तल (२) नेद्चिणा घुल में यात्रा कियो -
। सम्मुख में कर्केंट सिंद कन्या तुला यश्चिक घर घनु राशि । श्रीकृष्ण यमुना
। (३) पतिक्रमण कर प्रपमतः झप्रसर हुए । सम्मुख में ककूंट राशिस्य तीन सा-
रात्मक याद के पाकार का पुष्य नक्प्र पश्विगाभिमुख विराशमान है ।
आकृष्ण पुष्प संक्रमण के पीछे कर्कंट राशिस्य ट्रद से करतिय (४) कालोय
सपे का भस्तक पट्लारकमसप चब्ाकृति सौर इसको आाइ्लेपा नदाव कदतेहैं।
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कस फी पधिष्ठाद दूदता 'फणी” छं
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मं श्रीकृष्ण ने झाइलपा में पर रयकर काली प सपे को दूसन किया । सम्मुख
का + पुनदसु लठद की इटयट्ाज' देवता ढवसाता झा द ते द उतर ब्यतिज सबस्थदा । करयपों बस्वरंवरय अब्देन्एन
2 कदुप्य जन्मम्वदें । अदितिरेंका हम $ इति इत्प दो । सेबदा लडज सें सिंध लय पे ते बदन रच
बय नाम अति ना देवी बडितं ।
(९00 1500 81१४ भवन सिर नमद इवेंट गएव्वे ये लारयरे में गदते इच्दयार लरवरसये नरम दर
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मर्ज दिप्दुर पैर ऐनद धतदुर्न झथपस ये बर दें पे बे य दू स्मूदा कक नि मरते (3 ] वह चड़ सक,०«
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