अगस्त क्रांति और प्रति क्रांति | August Kranti Aur Prati Kranti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
73.99 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
र सही तौर से चेतन दो गये हैं, तो कोई भी उत्तजक कारण
जैसे छात्रों पर गोलियों का चलना जिससे उनका कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध
नहीं है, उनके लय एक क्रान्त के सूचपात करने लायक कारण घमा-
खत हा सकता है|
६४२ सें मजदरों ने राजमंतिक इड़ताज़ नहीं की और बे सड़क
पर नहीं निकले, इससे केवल यहीं होता
कि उनमें अभी
राजनेतिंक चेतना की कमी थी । इसका मतलब हर्मिज यदद नहीं लगाया
जा सकता कि वे भारत में क्रान्तिकारी व नहीं हैं । सच तो यह है कि
उन्हीं की शिरकत न करने के कारण ही १६४२ की क्रान्ति असफल
रही |
१८५७ और १४४९२
१६४२ के संग्राम के नाम पर इतना तक-बितक के बाद अब हम
इसके चरित्र में गहराई के साथ देखें कि यह क्रान्ति क्या थी ! नेहरू
जी ने अपने श्रीनगर वाले ' व्याख्यान में यह कहा था कि * १८५४७ के
भारत मं इससे बड़ा कोई विद्रोह नहीं हा ।” १८४५७ के विद्रोह की
यहीं न कि यह शारतीय जनता का सशख्र विद्रोह
था जिसके द्वारा उन्होंने श्रिटिशि साम्राज्यंवाद
_“. पाने की कोशिश की थी । श्रवश्य यह विद्रोह पूरा रूप से जनता के...
.. लिये इस साने में नहीं था कि यइ जनता के लिये नहीं था ! सच बात
तो यह हैं कि सही ऑ्रथ में कोई थो विद्रोह जिसमें. जनता अपने हाथों _
डशषता कया थी
ग-पाश से छुटकारा
नि
म॑ं शक्ति लेने के लिये विद्रोह नहीं कर रही है जन-विद्रोह नहीं कहला'
सकता, सले ही उसमें जनता भाग ले । १८५७ के विदोह में सामन्तों ..
. ने झपने सामस्तवादी स्थिर स्वार्थों के लिये जनता को जुकवा दिया
था, पर वे दपने सन में चाहे जी कुछ भी सोचकर चले हों, यह किसी.
भी तरह नहीं कहा जा सकता कि यांदि विद्रोह सफल होता और विदेशी
साम्नाज्यवादी निकाल दिये जाते तो पुरानी राज्यप्रणाली का ज्यों का
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