प्राचीन भारतीय मिट्टी के बर्तन | Pracheen Bhartiya Mitti Ke Bartan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
93.76 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. राय गोविन्दचंद - Dr. Rai Govind Chand
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand):... हक
और
है
“दशक दर 3 राग के पथातू डिएए
मिए हि € कर
दी प्राचीन भारतीय मिट्टी के बदन
' जरतना में जो पूवकालीन - हैं उनमें कुछ के अपर रखाएं चित्रित हैं जो
1 इन रखाओं का रंग
बगनीपसा ज्ञात होता है | इनका काल २००० बे ईसा से पूव निर्धारित
किया गया है । गुजरात में हरिपुर और लंघनाज से जो. बरतन प्राप्त हुए
हैं* वे भूरे पीलें रंग के हाथ के बने और सूर्य की किरणों में सुखाये हुए हैं |
ऐसा ज्ञात होता है कि इस युग के पूव ही कु खेती आरम्भ हो गयी थी
तथा लोग पत्थर और हड्डी के अस्थ व्यवहार में लाने लग गये धे5 | धूप में
सुखाये हुए ये बरतन जल्दी टूट जाते रहे होंगे और इनके बनाने में समय
भी अधिक लगता रहा होगा जिससे मनुष्य को बड़ी. कठिनाई का सामना
बरतन को आग के पास छोड़ दिया होगा जिससे यह पता लगा होगा कि
आग के पास यदि ये बरतन रख दिये ज़ाँय तो ये पक जाते हैं। इस
आविष्कार के पश्चात् कदाचित् पकाने के हेतु लकड़ी जलाकर बरतनों के
चारों ओर रख देते रहे होंगे जैसा आज भी अफ्रीका में करते हैं । यह
_छमान करना अनुचित न होगा कि इस आविष्कार ने उस युग के मनुष्य
जीवन में एक क्रांति उत्पन्न कर दी होगी और आगे चलकर इसी
आविष्कार ने आँधों को जन्म दिया होगा। ऐसा अनुमान होता है कि
यह युग भी कुछ्ध दि न चलत पर दि ं | रहा | आँच में -.पकाय हुए का ए हाथव कद ने
कर औ सिले च्द ही १०५ जि
आर सिल्लटी रत! रंग के नाग + गाजुन _कोण्डा से मी भी मात
हदें | दे अं ५, पके कह,
स्सकन बे
हू युग के पीछे के काल के
हुए है । परन्तु
निम्लफडरााबालातदिशापिध्राधकादपालड्सताादाशगर उतार रकम
कशमहाद: दि ्रशवानाकिक
चाक का आविष्कार
इस के पश्चात् हमें कुम्हार की चाक पर बने बरतन मिलने लगते हैं
श्री गाडन की राय है कि यह चाक भारत में पश्चिम से आयी परन्तु यह
है बोलरमदगिरि एम बन्दापल कद डी सिन्खुवादी की ' हीलर--ब्रह्मगिरि एण्ड चन्द्रावली--एनशण्ट इण्डिया न« पृ० २२२ ।
. सांखख्या--इनवेर्टिगेशन इन हिस्टारिक ार्केआालोजी आफ गुजरात ( १९४६ )
पू० १३८ क ५ * 5, है एन 5 सी पर हक
हर गाडन--दी-स्टोन इण्डर्ट्रीज आफ दी हालों. सेन, एनशण्ट इण्डिया नं० ६
यु 1 वे ० ) पु ७३।. . ये तन को , कर
ही गाडन “पा ५ ः कि
.... नदी पाटरी इण्डस्ट्रीन झाफ दो इण्डो इरानियन वार्डर एनशण्ट इन्डिया
लोग १९ १, सुन १९... हर कप पक
दसवलसस्ससमपप्यकाबीपीपी मे
उन्दई-सलइसमकनसरियापरतकिस्मण
User Reviews
No Reviews | Add Yours...