भाषा विज्ञान सार | Bhasha Vigyan Sar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ष् भाषा-विज्ञान-सार इतिहास का पता नहीं लगा सकते ओर यदि इतिहास का पता न लगेगा तो सिन्‍्न-मिन्न शब्दों में और उनके रूपों में कया और केसे परिवतन हुए इसका ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता । इस म्रकार याद किसी भाषां में साहित्य न हो तो उसका भाषा-विज्ञान भी शून्य हागा। उदाहरणाथ यदि संस्कत प्राकत और अपध्रश आदि में साहित्य न हेतता तो भाषा-विज्ञान इतनी उन्नति न कर पाता । ऋग्वेद की भाषा से पूर्व का काई साहित्य न हमने के कारण उस समय का भाषा-विज्ञान भी कुछ नहीं है।. साहित्य भाषा-विज्ञान का सुख्य आधार है। मानव-विज्ञान से संबंध -मा्नव-विज्ञान का मुख्य विषय यह है कि मनुष्य नै प्रारंभिक अवस्था से बतंमान अवस्था तक किस प्रकार उन्नति की उसका विकास किस प्रकार हुआ । यह उन्नति दो प्रकार की है (के) स्वाभाविक या प्राकृतिक (ख) सांस्कृ- तिक । संस्कारजन्य उन्नति यह बताती है कि मंतुष्य की रददन-सहन बातचीत लेखन-कला आदि का विकास ककिस प्रकार हुआ । भाषा और लेखन-प्रण ल] की उत्पत्ति और ब्िकास भाषा-विज्ञान के भी अंग हैं। अत सानुव-विज्ञान और भाषा ़विज्ञान में घनिछ संबंध है | थ के इतिहास से संबंध--राजनैतिक परिवतनों ओर विप्लवों का प्रसाव भाषाओं पर भी बहुत कुछ पड़ता है। उदादरशाथ अप- भ्रश के देशव्यापी हाने का कारण आमभौरों का प्रमु्व था हमारी बोलचाल की भाषा में उदं फारसी और चँग्रेजी शब्दों के प्रयोग का. कारण यँथा-समय सुसलमानों और यूरोपियनों के साथ हमारा संसरों ही है | डी समाज से संबंध--भाषा-विज्ञान का मुख्य विषय भाषा है ब्यौर भाषा समाज सापेच् है? भाषा समाज का दुपण है । राजनैतिक घामिक ओर सामाजिक स्थिति का भाषा पर बहुत कुछ प्रभाव शो छ- थे




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