वैदिक धर्म और इस्लाम | Vedic dharm aur Islam

Vedic dharm aur Islam by असहाबा अली - Asahaba Ali

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about असहाबा अली - Asahaba Ali

Add Infomation AboutAsahaba Ali

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(१9 ) चय र८ मन्त्र ९५1 इस सालीस पर कौन मल कर सकता है | फ्या श्रौरतों को श्रपने से 'किसी बक्त भी श्रलददा नहीं किया जावे श्रादमी सफूर एर जावे तो भी साध ले जावे दफ्तर में जावे तो भी श्रनइदा न करे 1 क 'चौद्दवों एतराए- घेदों के वाज़ मन्वरों में तहजीव से भिरी हुई 'बातें पाई ज्ञानी हैं मुन्नाइज़ा दो यजुचेद श्रध्याय ६ मनन १४। १-सतेरोजिससे नाड़ी चगेरह धॉँघी जाती हैं उस नामिक पचिन्न करना हूँ तेरे जिससे पेशाब वगरह कियां जाता है उस लिंकफों पवित्र करता हूँ तेरी जिसस रदा को ज्ञातीदे उस गुदा इन्द्रिय को पतिन्न करता डा” नन्यज्लुचेंद अध्याय रप मन्त्र दे का भावार्थ “जेसे बैल गोद को गाभन करके एशुॉकों पढ़ाता है बेसे यूहस्थ लोग' खियोकों गर्भवती कर प्रजा को बढ़ाघें | 2--यज्लुघेर शध्याय ३१ मन्त्र ६० है मजुष्यों छेरी शादि पथ से चासी के लिये मंदा से परमेश्ययंके लिये बेहास भोग करे एसी तरह श्रीर बहुत से मन्त्र हैं जिचको लिखते हुए: रन श्राती है। पन्द्र वां एलराज़- चेदी में जो इन्सानों की दुश्नाएँ लिखाई गई हैं उन 'दुश्रा अोसे यह दर णिज़ मालूम नहीं होता कि ईवरकी तरफूसे हैं सुचाइज़ादो श्रष्दत सत्याय प्रफाण सुफ। १२४ वहघाले पंच रखुति शध्याय ७ स्छोक 9 स्वामी जी लिखते हूँ. शिकार का खेलाना,चौपड़ खेलना, खुदा खेलना,दिन में सोना (शायद' नो जी था यो श्रायें दोस्त बाहें को करी 'दिय मे सोवे ,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now